धन्य है वह, संस्कृति !
धन्य है, वह संस्कृति; जो एक ब्राह्मण के कहने पर 'भगवान राम' को शम्बूक 'शुद्र' का वध करने प्रोत्साहित करती है. धन्य है, वह संस्कृति; जो एक 'धोबी' के कहने पर सीता को घर से निकाले जाने का यशोगान करती है. धन्य है, वह संस्कृति; जो 'भगवान राम' को सबरी के झूठे बेर खाने को नहीं रोकती किन्तु एक दलित दुल्हे को घोड़ी पर चढ़ने से रोकती है ? धन्य है, वह संस्कृति; जो मैत्री और गार्गी को वेद पढ़ने से नहीं रोकती किन्तु, सबरीमाला के मंदिर में महिलाओं को जाने से रोकती है ?
धन्य है, वह संस्कृति; जो एक ब्राह्मण के कहने पर 'भगवान राम' को शम्बूक 'शुद्र' का वध करने प्रोत्साहित करती है. धन्य है, वह संस्कृति; जो एक 'धोबी' के कहने पर सीता को घर से निकाले जाने का यशोगान करती है. धन्य है, वह संस्कृति; जो 'भगवान राम' को सबरी के झूठे बेर खाने को नहीं रोकती किन्तु एक दलित दुल्हे को घोड़ी पर चढ़ने से रोकती है ? धन्य है, वह संस्कृति; जो मैत्री और गार्गी को वेद पढ़ने से नहीं रोकती किन्तु, सबरीमाला के मंदिर में महिलाओं को जाने से रोकती है ?
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