राजनीति का सच
यह तय है कि बिना अडानी/अम्बानी के सत्ता पर पहुंचा नहीं जा सकता. सीधी-सी बात है, राहुल गाँधी को अडानी/अम्बानी को कोसने के स्थान पर दूसरे 'अडानी/अम्बानी' खड़े करने होंगे. क्योंकि, चुनाव पर अरबों रूपया खर्च होता है. बिना 'अडानी/अम्बानी' के सांठ-गांठ के चुनाव जीता नहीं जा सकता. 'अडानी/अम्बानी' आपके साथ हैं तो मीडिया को ख़रीदा जा सकता है.
और यही वजह है कि अन्य पार्टियों के अलावा बसपा सुप्रीमो मायावती भी तमाम आलोचना के बावजूद 'अडानी/अम्बानी' के चेले-चपाटों को टिकिट देती है. भ्रष्टाचार न कभी चुनाव में मुद्दा था और न रहेगा.
यह तय है कि बिना अडानी/अम्बानी के सत्ता पर पहुंचा नहीं जा सकता. सीधी-सी बात है, राहुल गाँधी को अडानी/अम्बानी को कोसने के स्थान पर दूसरे 'अडानी/अम्बानी' खड़े करने होंगे. क्योंकि, चुनाव पर अरबों रूपया खर्च होता है. बिना 'अडानी/अम्बानी' के सांठ-गांठ के चुनाव जीता नहीं जा सकता. 'अडानी/अम्बानी' आपके साथ हैं तो मीडिया को ख़रीदा जा सकता है.
और यही वजह है कि अन्य पार्टियों के अलावा बसपा सुप्रीमो मायावती भी तमाम आलोचना के बावजूद 'अडानी/अम्बानी' के चेले-चपाटों को टिकिट देती है. भ्रष्टाचार न कभी चुनाव में मुद्दा था और न रहेगा.
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