मुस्लिम और दलित
देश का मुस्लिम न कमजोर था, न है. लगातार संघर्ष कर रहा है. जिसे हम 'आतंकवादी' कहते हैं, वह क्या है ? और मुस्लिम ही क्यों ? नक्सलिज्म क्या है ? चारू मजुमदार कौन है ? क्यों हैं ? ये जो बुद्धिजीवी, लेखक जेल में ठुसे गए हैं, क्या हैं, क्यों हैं ? बन्दुक कोई नहीं चाहता. दाढ़ी और टोपी के साथ मुस्लिम हर गली-मोहल्ले में बेखौप रहता है. हम सलाम करते हैं, उसके जज्बे को. बल्कि, दूसरी ओर, दलित डरता है, सरेंडर करता है.
देश का मुस्लिम न कमजोर था, न है. लगातार संघर्ष कर रहा है. जिसे हम 'आतंकवादी' कहते हैं, वह क्या है ? और मुस्लिम ही क्यों ? नक्सलिज्म क्या है ? चारू मजुमदार कौन है ? क्यों हैं ? ये जो बुद्धिजीवी, लेखक जेल में ठुसे गए हैं, क्या हैं, क्यों हैं ? बन्दुक कोई नहीं चाहता. दाढ़ी और टोपी के साथ मुस्लिम हर गली-मोहल्ले में बेखौप रहता है. हम सलाम करते हैं, उसके जज्बे को. बल्कि, दूसरी ओर, दलित डरता है, सरेंडर करता है.
एक मुस्लिम और दलित में फर्क यह है कि मुस्लिम, कुर्बानी देना जानता है, यह उसके खून में है. जबकि दलित, 'सेफ झोन' ढूंढता है. वह बौद्धिक नपुंसकता की लड़ाई लड़ता है.
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