गुलाम. गुलामी को इंज्वाय करते हैं ?
पिछले लोकसभा चुनाव में उ प्र सहित देश में अन्य भागों में दलित संगठनों ने हजारों उम्मीदवार उतारे. वे सारे के सारे उम्मीदवारों ने बीएसपी के वोट काटे. हकीकत में, बसपा सुप्रीमो मायावती से खपा कई दलित नेता बहनजी का गरूर उतारना चाहते थे, उन्हें मजा चखाना चाहते थे.
पिछले लोकसभा चुनाव में उ प्र सहित देश में अन्य भागों में दलित संगठनों ने हजारों उम्मीदवार उतारे. वे सारे के सारे उम्मीदवारों ने बीएसपी के वोट काटे. हकीकत में, बसपा सुप्रीमो मायावती से खपा कई दलित नेता बहनजी का गरूर उतारना चाहते थे, उन्हें मजा चखाना चाहते थे.
मजा चखाना तो यशवंत सिन्हा जैसे कई दिग्गज नेता मोदीजी को भी चाहते थे, किन्तु, इसका अर्थ यह कतई नहीं कि वे बीजेपी को हराना चाहते थे ?
दूसरी ओर, दलित संगठनों के नेता अच्छी तरह जानते थे कि उनके उम्मीदवारी से उन्हें फायदा कम, बीएसपी को नुकसान अधिक होगा. इसके बावजूद, वे चुनाव लडे ! दरअसल, गुलामी में रहते रहते गुलामों की मानसिकता गुलामी को इंज्वाय करने की हो जाती है ?
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