'पूजा-पाठ' अर्थात बुद्ध-वचनों का पाठ-
1. ब्राम्हणों में हवन यज्ञ करने की प्रथा थी(हिंदी बा.डा.अ.स.वा.खंड- 7: "क्रांति प्रतिक्रांति")।
2. बौद्ध धर्म को परास्त करने के लिए ब्राम्हणो ने धम्मपद का रूपांतरण भागवत गीता में किया(डा.बा.बा.रा.ए.स्पी.18: भाग-3)।
अर्थात बुद्ध वचन (पूजा वंदना) पढ़ने की परंपरा बौद्ध धर्म में पहले से ही है।
'भगवत गीता' का निर्माण होने के पश्चात 'सत्यनारायण की कथा' ब्राम्हणों ने प्रारंभ किया, बौद्ध धर्म को नष्ट करने के लिए।
इसलिए बुद्ध धम्म में पुरोहित वाद का कोई मतलब नहीं रह जाता ।
बुद्ध का धम्म पालन करने वाले लोगों के समूह को 'बुध्द संघ' कहा जाता है।
जो लोग धम्म-आचरण नहीं करते वे 'बुद्ध संघ' के सदस्य नहीं हो सकते। बुद्ध के धम्म-आचरण करने के लिए 'बुध्द-धम्म-संघ' को अनुसरण करके आचरण करना होता है। उसके लिए शांत सुगंधित वातावरण में बुध्द की शिक्षाओ को पढ़कर आचरण करने का नियम है। बुद्ध वंदना (बुद्ध वचनों पठन) करना यह धम्म पालन करने की प्रथम सिढी है।
बाबासाहेब आंबेडकर इस बात भली-भांति परिचित थे और जानते थे। इस लिए अपने निवास राजगृह पर 'पूजा वंदना' का स्थान बनाया था। -भंते धम्मशिखर ज्योतिदेव
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