धर्मादेश-
भारत के विख्यात फिल्म निदेशक गुलजार पंजाब के हैं। मैं उन्हें हिन्दी में खत लिखता था और वे अंग्रेजी में जवाब देते थे क्योंकि वे उर्दू भाषा के कवि-लेखक रहे हैं और मैं उर्दू बिलकुल नहीं जानता।
एक बार मैंने खीजकर उन्हें लिखा कि इतने दिनों बाद भी तुमने हिन्दी क्यों नहीं सीखी? इस पर गुलजार का जो जवाब आया वह महत्वपूर्ण है। गुलजार ने व्यंग में लिखा था-
‘‘तुम तो जानते हो, पंजाब का मर्द उर्दू लिखता है और पंजाबी बोलता है।’’
दरअसल, हिन्दी पंजाब में औरतों को पढ़ाई जाती है ताकि वे रामचरितमानस पढ़ सकें। औरतों को रामचरितमानस इसलिए पढ़ाई जाती रही है कि वे ‘ढोल, गंवार, शूद्र, पशु, नारी। ये सब ताड़न के अधिकारी’ को धर्मादेश की रूप में स्वीकार करती रहें (मुद्राराक्षसः धर्मोंग्रंथों का पुर्नपाठ, पृ. 156)।
भारत के विख्यात फिल्म निदेशक गुलजार पंजाब के हैं। मैं उन्हें हिन्दी में खत लिखता था और वे अंग्रेजी में जवाब देते थे क्योंकि वे उर्दू भाषा के कवि-लेखक रहे हैं और मैं उर्दू बिलकुल नहीं जानता।
एक बार मैंने खीजकर उन्हें लिखा कि इतने दिनों बाद भी तुमने हिन्दी क्यों नहीं सीखी? इस पर गुलजार का जो जवाब आया वह महत्वपूर्ण है। गुलजार ने व्यंग में लिखा था-
‘‘तुम तो जानते हो, पंजाब का मर्द उर्दू लिखता है और पंजाबी बोलता है।’’
दरअसल, हिन्दी पंजाब में औरतों को पढ़ाई जाती है ताकि वे रामचरितमानस पढ़ सकें। औरतों को रामचरितमानस इसलिए पढ़ाई जाती रही है कि वे ‘ढोल, गंवार, शूद्र, पशु, नारी। ये सब ताड़न के अधिकारी’ को धर्मादेश की रूप में स्वीकार करती रहें (मुद्राराक्षसः धर्मोंग्रंथों का पुर्नपाठ, पृ. 156)।
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