धम्म-चक्कं पवत्तनं
भगवा 'धम्म-चक्कं' पवत्तयि।
भगवान(बुद्ध) ने 'धम्म-चक्क' प्रवर्तित किया।
बहूनं अरहन्त मनुस्सानं अभिसमयो अहु।
बहुत अरहन्त-मनुष्यों को स्थितिप्रज्ञता हुई.
भगवा ही सब्बं ददाति।
भगवान(बुद्ध) ही सबको को देते हैं।
चतु सच्चं पकासेति।
'चार सत्यों' को प्रकाशित करते हैं।
पाणिनं अनुकम्पति।
प्राणियों पर अनुकम्पा करते हैं।
भिक्खू भगवन्त परिवारेन्ति।
भिक्खु-गण भगवान(बुद्ध) को घेर लेते हैं।
पापकारी सोचति।
पापकारी सोचता है।
पुञ्ञकारी मोदति।
पुण्यकारी प्रमुदित होता है।
(स्रोत- आवश्यक पालि 31 दिन में, पृ. 81 )
भगवा 'धम्म-चक्कं' पवत्तयि।
भगवान(बुद्ध) ने 'धम्म-चक्क' प्रवर्तित किया।
बहूनं अरहन्त मनुस्सानं अभिसमयो अहु।
बहुत अरहन्त-मनुष्यों को स्थितिप्रज्ञता हुई.
भगवा ही सब्बं ददाति।
भगवान(बुद्ध) ही सबको को देते हैं।
चतु सच्चं पकासेति।
'चार सत्यों' को प्रकाशित करते हैं।
पाणिनं अनुकम्पति।
प्राणियों पर अनुकम्पा करते हैं।
भिक्खू भगवन्त परिवारेन्ति।
भिक्खु-गण भगवान(बुद्ध) को घेर लेते हैं।
पापकारी सोचति।
पापकारी सोचता है।
पुञ्ञकारी मोदति।
पुण्यकारी प्रमुदित होता है।
(स्रोत- आवश्यक पालि 31 दिन में, पृ. 81 )
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