Tuesday, April 23, 2019

तरुणावस्था

तरुणावस्था 
सुपिनाे
महासागरा. 

पक्खिनो 
विय डीयति
आकासे 
विचरति, 
रमति

पकती 
अतीव सुंदरा 
कीळति, 
पमोदति 
सतरंगी मोरा 
विय नच्चति. 

मन मोहना 
चित चंचला
झर झरा, 
निम्मळा
भम भमरा

जयजय भव
ता यस भव.

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