Thursday, April 25, 2019

विकृत व्यवस्था

वे 
थूकते थे
उन पर,
उनकी व्यवस्था पर
इसलिए
उन्होंने
बांध दिए गाळगे
उनके मुंह पर

न हो 
अपवित्र
कोई जनेऊ-धारी 
इसलिए,
उन्होंने 
बाँध दिया था झाड़ू
उनकी कमर पर

परन्तु,  
सैकड़ों वर्षों बाद 
आज भी
देख कर 
लगाते झाड़ू
उन्हें
सड़क पर
मुझे लगा, जैसे
व्यवस्था के सीने को
नाखूनों से खरोच रहे हो.

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