Friday, April 12, 2019

मायावती की मूर्ति

कुछ टुच्चे किस्म के लोग बहन मायावती पर छींटाकशी करते हैं और आरोप लगाते हैं कि उन्होंने अम्बेडकर के सामने अपनी मूर्ति स्थापित करवा दी..मुझे इनकी हैसियत और अक्ल पर तरस आता है.
जनाब ! बाबासाहब अम्बेडकर के ठीक बगल में अपनी मूर्ति स्थापित करना इतना आसान नहीं है ? इसके लिए सवर्णों की छाती पर चढ़ कर लखनऊ और नोएडा में बड़े-बड़े दलित स्मारक बनाने होते हैं ? दलित और बहुजन नायकों की बड़ी-बड़ी मूर्तियाँ स्थापित करनी होती है. बुद्धमय भारत का राज-चिन्ह अशोक चक्र और हाथी, कांसीराम स्मारक निर्माण कर उसमें इनकी लम्बी कतारें खड़ी करनी होती है.
और इसके लिए किसी चमार के घर पैदा होना होता है. और सबसे बड़ी बात, किसी चमारण का दूध पीकर 'मायावती' बनना होता है !
काश ! कि यह इतना सरल होता ?

2 comments:

  1. तुम गन्दी मानसिकता के शिकार हो, तुम्हारे मन में सभी के लिए घृणा भरी है, भगवान् बुद्ध भी सनातन आर्य थे, सूर्यवंशी भगवान् राम के कुल में जन्मे क्षत्रिय थे. उन्होंने समाज में सुधार का कार्य किया था, आप जैसे लोगो को देख कर वे अपना माथा पीट लेते. हम सभी आर्य सनातनी हिन्दू एक हैं, तुम जैसे लोग समाज को बांटने का कार्य कर रहे हो.

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    1. काश ! बुद्ध और कबीर के साथ ब्राह्मणों ने न्याय किया होता ?

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