Wednesday, April 22, 2020

बुद्धवचनों की कसौटी

बुद्धवचनों की कसौटी
188.
भिक्खुओं, यदि कोई भिक्खु ऐसा कहे-
"इध, भिक्खवे, भिक्खु एवं वदेय्य-
आवुसो ! मैंने इसे भगवान के मुख से सुना,
सम्मुखं एतं, आवुसो, भगवतो सुत्तं,
मुख से ग्रहण किया है;
पटिग्गाहितं
यह धर्म है, यह विनय है, यह शास्ता का उपदेश है
अयं धम्मो, अयं विनयो , इदं सत्थु सासनं'ति
तो भिक्खुओं! उस भिक्खु के भाषण का
तस्स भिक्खवे, भिक्खुनो भासितं नेव अभिनन्दितब्बं
न अभिन्दन करना, न निन्दा करना।
न पटिक्कोसितब्बं.
अभिनन्दन न कर, निन्दा  न कर उन पद-व्यंजनों को
अनभिनन्दित्वा अप्पटिक्कोसित्वा तानि पद व्यंजनानि
अच्छी तरह सीख कर सूत्र से तुलना करना,
साधुकं उग्गहित्वा सुत्ते ओसारेतब्बानि
विनय में देखना ।
विनये सन्दस्सेतब्बानि
यदि वह सूत्र से तुलना करने पर, विनय में देखने पर
तानि चे सुत्ते ओसारेमानानि, विनये सन्दस्सियमानानि   
न सूत्र में उतरते हैं न विनय में दिखायी देते हैं
न चेव सुत्ते ओसरन्ति, न च विनये सन्दिस्सन्ति
तो विश्वास करना कि
निट्ठमेत्थ गन्तब्बं-
अवश्य ही भगवान का वचन नहीं है,
अद्धा, इदं न च येव तस्स भगवतो वचनं
इस भिक्खु का ही दुगृहित है।
इमस्स भिक्खुनो दुग्गाहितं
ऐसा होने पर भिक्खुओ! उसको छोड़ देना।
इति हेतं, भिक्खवे, छड्डेय्याथ.

यदि वह सूत्र से  तुलना करने पर, विनय में देखने पर
तानि चे सुत्ते ओसारेमानानि, विनये सन्दस्सियमानानि   
सूत्र में भी खरा उतरता है, विनय में भी दिखाई देता है,
सुत्ते चेव ओसरन्ति, विनये येव सन्दिस्सन्ति
तो विश्वास करना -
निट्ठमेत्थ गन्तब्बं-
इस भिक्खु का वह सुगृहीत है।
इमस्स च भिक्खुनो सुग्गहितं
भिक्खुओ! इसे धारण करना
इदं भिक्खवे, धारेय्याथ।
(महापरिनिब्बान सुत्त: दीघनिकाय)।
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ओसारेति- पुनर्नियुक्त करना .
सन्दिस्सति- दिखाई देना.

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