Wednesday, October 27, 2010

भगवा आतंकवाद

 दुनिया के सभी देशों में चाहे वे कितने ही सभ्य हो , वहां पर रहने वाले विभिन्न धर्म/सम्प्रदाय और संस्कृतियों  के बीच सांस्कृतिक  संघर्ष होता रहता है. वास्तव में, यह सांस्कृतिक  संघर्ष, वहां के बहुसंख्यक के द्वारा अल्पसंख्यकों के विरूद्ध वर्चस्व की लड़ाई है. यह सांस्कृतिक संघर्ष 'सर्वाईव आफ द फिटेस्ट (survive of the fittest ) से गवर्न होता है. मगर, इस प्राकृतिक नियम की अपनी कुछ परिणतियाँ  भी हैं. अच्छी भी, बुरी भी. बुरी इस तरह की यह सर्वाईव (survive )  करने के लिए अल्पसंख्यकों को,  बहुसंख्यकों के विरूद्ध हथियार उठाने बाध्य करती है.
       सवाल यह है कि इसका हल क्या है ?  देश के संविधान सभा की प्रोसिडिंग में इसका हल पहले ही कर दिया गया है. विभाजन के दौरान जब देश का संविधान बना तो डॉ आम्बेडकर ने चेतावनी भरे लहजे में कहा था - देश की संसद, जिसमे निश्चित रूप से हिन्दू  बहुसंख्यक हैं, को  यह बतलाने की जरूरत नहीं है कि उन्होंने अल्पसंख्यकों के लिए क्या-क्या किया है,कौन -कौनसी  सुविधाएँ दी है और उनके हित में कौन- कौन से कानून बनाये हैं. बल्कि, अल्पसंख्यकों को यह लगना  चाहिए कि बहुसंख्यक हिन्दुओं ने उन्हें  क्या दिया है,कौन-कौन-सी सुविधाएँ दे रखी हैं और उनके हित में कौन- कौन से कानून बनाये हैं.जब देश के अल्पसंख्यक खुद-ब-खुद यह बतलाने लगेंगे तभी यह देश शक्तिशाली हो सकता है और विश्व में तीसरी शक्ति बन सकता है.
       सवाल यह है कि हो क्या हो रहा है ? क्या बहुसंख्यक हिन्दू  , संख्या या शक्ति से  अल्पसंख्यकों की आवाज को दबा सकते हैं ? आप कुछ लोगों को कुछ समय के लिए दबा सकते हैं, उनकी आवाज़ बंद कर सकते हैं. मगर आप उनकी आवाज़ हमेशा-हमेशा के लिए बंद नहीं कर सकते, सिवाय उनको मिटाने के.
    अल्पसंख्यक वैसे भी डरे रहते हैं. उनमे बहुसंख्यकों की संख्या और शक्ति का भय हमेशा समाया रहता है. अच्छा है, बहुसंख्यक उदारवादी दृष्टीकोण अपनाये. दूसरी ओर, अल्पसंख्यक भी इस उदारवादी दृष्टीकोण को बहुसंख्यकों की मज़बूरी न समझे.
    दुनिया में ऐसे बहुतेरे देश हैं जो धर्म विशेष के आधार पर अस्तित्व में आये हैं. मगर धीरे-धीरे व्यवसाय व् अन्य कारणों से लोगों के इधर-उधर जाने के कारण चाहे-अनचाहे  धर्म और संस्कृतियों का मिश्रण हुआ. धर्म और संस्कृतियों के इस मिश्रण को रोकना ना मुमकिन है. आज मानव, अपनी उन्नत सभ्यता की बात करता है. शिक्षा और विज्ञान के  उंच्च मानवीय मूल्यों की वकालत करता है. अतः अच्छा है कि प्रत्येक समुदाय चाहे वह अल्पसंख्यक हों या बहुसंख्यक, अपनी संख्या और शक्ति का इस्तेमाल सह-अस्तित्व और सामंजस्य के लिए करे बजाय अस्तित्व की लड़ाई में अपव्यव करने के.

1 comment:

  1. just shame ! better you see what are you saying
    terrorists are from minority. how much hindus are terrorists.(अल्पसंख्यक वैसे भी डरे रहते हैं.) kaha par ?

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