एक नवीनतम दिलचस्प फैसला-
स्थान- यूनियन कार्बाइड, भोपाल
समय- ३ दिस १९८४
दुर्घटना- जहरीली गैस का रिसाव
परिणाम- -३५,००० लोगों की मौत
-प्रभावितों की संख्या ५,००,००० और अपाहिज १,२०,०००
-अपार जन-धन की हानि
-दुर्घटना के २५ साल बाद, आज भी करोड़ों रु प्रभावित लोगों के इलाज पर खर्च
फैसले में लगा वक्त - २० साल और
फैसला- दोषियों को मात्र २-२ वर्ष की सजा तथा २-२ लाख रु का जुर्माना
कुछ और दिलचस्प फैसलें-
1. २० रूपये लुटने वाले को सात साल की सजा - नई दिल्ली: अतिरिक्त सेशन जज वी के बंसल ने जाकिर और जितेन्द्र को सजा सुनाते हुए कहा कि केवल २० रुपये का मामला होने के कारण अपराध की गम्भीरता कम नहीं हो जाती. दोनों ने चौकीदार को लुटते समय उसके पास से सब कुछ छीन लिया . हालाकि उसके पर्स में केवल २० रुपये थे. दोनों पर २-२ हजार रुपये का जुर्माना भी किया गया (स्रोत- दैनिक भास्कर जबलपुर २ जन ११).
2. ४७ करोड़ रूपये के बैंक घोटालेबाज को १ वर्ष कैद की सजा . बैंक घोटालेबाज केतन पारिख,हितेन दलाल एवं अन्य ने बैंक से ४७ करोड़ रूपये की धोकाधडी कर उसे शेयरों में निवेश कर दिया था.इन दो अभियुक्तों को एक-एक वर्ष की तथा एक अन्य को उसका बुढ़ापा देखते हुए ६ महीने कैद की सजा मुंबई की एक विशेष अदालत द्वारा दी गई थी( वही,अंक १४ मई ०८)
३. १० रूपये की भी गडबडी पर श्रमिक को सेवा से हटाया जा सकता है- उच्चत्तम न्यायालय के एक निर्णय के अनुसार प्रबन्धन को अधिकार है कि यदि कोई श्रमिक १0 रूपये की भी गडबडी करे तो उसे सेवा से हटाया जा सकता है. क्योंकि, उसने प्रबन्धन का विश्वास खो दिया है( वही).
तस्वीर का दूसरा पहलू-
देश का संविधान (अनुच्छेद ७) कानून के समान संरक्षण की बात करता है. अर्थात कोई कानून के ऊपर नहीं है और इसकी रक्षा के लिए न्यायपालिका को पूरी तरह स्वतंत्र बनाया गया है. अब, अगर ऐसे में हम कहें कि हमारी न्याय व्यवस्था अमीरों के कब्ज़े में हैं तो इस में बुरा क्या है ?
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स्थान- यूनियन कार्बाइड, भोपाल
समय- ३ दिस १९८४
दुर्घटना- जहरीली गैस का रिसाव
परिणाम- -३५,००० लोगों की मौत
-प्रभावितों की संख्या ५,००,००० और अपाहिज १,२०,०००
-अपार जन-धन की हानि
-दुर्घटना के २५ साल बाद, आज भी करोड़ों रु प्रभावित लोगों के इलाज पर खर्च
फैसले में लगा वक्त - २० साल और
फैसला- दोषियों को मात्र २-२ वर्ष की सजा तथा २-२ लाख रु का जुर्माना
कुछ और दिलचस्प फैसलें-
1. २० रूपये लुटने वाले को सात साल की सजा - नई दिल्ली: अतिरिक्त सेशन जज वी के बंसल ने जाकिर और जितेन्द्र को सजा सुनाते हुए कहा कि केवल २० रुपये का मामला होने के कारण अपराध की गम्भीरता कम नहीं हो जाती. दोनों ने चौकीदार को लुटते समय उसके पास से सब कुछ छीन लिया . हालाकि उसके पर्स में केवल २० रुपये थे. दोनों पर २-२ हजार रुपये का जुर्माना भी किया गया (स्रोत- दैनिक भास्कर जबलपुर २ जन ११).
2. ४७ करोड़ रूपये के बैंक घोटालेबाज को १ वर्ष कैद की सजा . बैंक घोटालेबाज केतन पारिख,हितेन दलाल एवं अन्य ने बैंक से ४७ करोड़ रूपये की धोकाधडी कर उसे शेयरों में निवेश कर दिया था.इन दो अभियुक्तों को एक-एक वर्ष की तथा एक अन्य को उसका बुढ़ापा देखते हुए ६ महीने कैद की सजा मुंबई की एक विशेष अदालत द्वारा दी गई थी( वही,अंक १४ मई ०८)
३. १० रूपये की भी गडबडी पर श्रमिक को सेवा से हटाया जा सकता है- उच्चत्तम न्यायालय के एक निर्णय के अनुसार प्रबन्धन को अधिकार है कि यदि कोई श्रमिक १0 रूपये की भी गडबडी करे तो उसे सेवा से हटाया जा सकता है. क्योंकि, उसने प्रबन्धन का विश्वास खो दिया है( वही).
तस्वीर का दूसरा पहलू-
देश का संविधान (अनुच्छेद ७) कानून के समान संरक्षण की बात करता है. अर्थात कोई कानून के ऊपर नहीं है और इसकी रक्षा के लिए न्यायपालिका को पूरी तरह स्वतंत्र बनाया गया है. अब, अगर ऐसे में हम कहें कि हमारी न्याय व्यवस्था अमीरों के कब्ज़े में हैं तो इस में बुरा क्या है ?
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सही कहा आपने आब तो मज़ाक बन गया है ये कानून वयवस्था एक आदमी क़त्ल करता है लोगों पर गाड़ियाँ चढ़ा देता है , करोड़ों का घोटाला करता है , बलात्कार करता है किन्तु अमीर होने तथा अपने बल का प्र्युग करके वो आज़ाद खुले आम घूम रहा है , और एक ग़रीब जिसके जन्म के साथ ही बेचारा शब्द जुड़ जाता है निचली अदालत या उच्च न्यायलय द्वारा दोषी न होने पर भी 10 - 10 साल 20 - 20 साल बिना सज़ा सुनाये ही उसे जेल में बिता देना पड़ता है , की अभी केस चल रहा है , और सभी को पता है की यहाँ एक केस कितने साल तक चलता है
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