Saturday, November 23, 2013

Prof. Arun Kamble

Portrait of Arun Kamble.jpg
Professor Arun Kamble (1953-2009)
देश के लिटरेरी जगत में अरुण कामले एक जाना-माना नाम है। वे दलित पेंथर के संस्थापक सदस्यों में एक रहे थे।

अरुण कृष्णाजी काम्बले का जन्म 14 मार्च 1953 को सांगली के पास कर्गनी जिले के अठपड़ी गावं में एक महार दलित परिवार में हुआ था। उनके पिता कृष्णाजी काम्बले, कर्गनी जिला के जाने माने व्यक्ति थे। उनकी माता का नाम शांताबाई था। अरुण की माँ शांताबाई और पिताजी कृष्णाजी दोनों सांगली के स्कूल में शिक्षक थे।

अरुण की माँ शांताबाई की आत्मकथा  'माझ्या जलमा ची चित्रकथा'(प्रका. 1986) दलित साहित्य में काफी प्रसिद्द हुई। यह किसी दलित महिला द्वारा  लिखित पहली आत्म-कथा है। यह पुस्तक मुंबई यूनिवर्सिटी में पढाई जाती है है।  कृष्णाजी काम्बले की आत्म कथा 'मी कृष्णा ' भी काफी चर्चित रही है ।

File:Shantabai Kamble.JPG
Shantabai Kamble  1923-
अरुण के माता-पिता, बाबा साहेब डा आंबेडकर के अनुयायी थे। आपने बी ए के बाद सन 1976 में एम् ए किया था। बालक की दिलचस्पी शुरू से ही दलित-साहित्य और आंबेडकर मूवमेंट से रही थी।

अरुण ने मुंबई के 'डा आंबेडकर कालेज ऑफ़ कामर्स एंड इकनामिक्स, वडाला' में लेक्चरार से नौकरीं शुरू की थी। सन 1990 के दौरान वे मुंबई यूनिवर्सिटी में रीडर थे। वे यहाँ फुले-साहू चेयर के हेड ऑफ़ डिपार्टमेंट थे।

प्रोफ़ेसर अरुण काम्बले, दलित पेंथर के संस्थापकों; नामदेव ढसाल, राजा ढाले के साथी थे। सन 1974 में आप दलित पेंथर के अध्यक्ष बने थे । बाबा साहेब डा आंबेडकर का सम्पूर्ण वांग्मय यथा-शीघ्र प्रकाशित होना चाहिए,  दलित पेंथर के अध्यक्ष रहते सन 1979 दौरान आपने  इसके लिए लांग-मार्च निकाला था।

मराठवाडा यूनिवर्सिटी का नाम डा बाबा साहब आंबेडकर होना चाहिए, इसके लिए आपने बड़े स्तर पर व्यापक आन्दोलन किए थे। सन 1987 के दौरान बाबा साहेब डा आंबेडकर की प्रसिद्द पुस्तक 'रिदिल्स इन हिदुइस्म' पर छिड़े विवाद पर आपने बड़ी   लड़ाई लड़ी थी। 

प्रोफ़ेसर अरुण काम्बले जनता दल के राष्ट्रीय महासचिव रहे थे। आपने भूतपूर्व प्रधान मंत्री वी पी सिंह के साथ काम किया था। सन 1989 में आपने वी पी सिंह से वादा करवाया था कि मंडल कमीशन की रिपोर्ट को यथा-शीघ्र लागू किया जाएगा। बुद्धिस्ट, पिछड़े वर्ग और धार्मिक अल्प संख्यकों को भी आरक्षण मिलना चाहिए,इसका आपने काफी प्रयास किया था। दलित राष्ट्रपति के मुद्दे पर बात बनती न देख प्रोफ़ेसर काम्बले ने जनता दल से त्याग-पत्र  दे दिया था।  

'डा आंबेडकर चरित्र साधने पब्लिकेशन ' के आप सदस्य रहे थे। डा बी आर आंबेडकर राईटिंग एंड स्पीचेस  ले सम्पादक मंडल के आप सदस्य रहे थे। डा बी आर आंबेडकर सम्पूर्ण वांग्मय के प्रकाशन योजना से 'रिडल्स इन हिंदूइस्म'  (खंड 4) को हटाने के सवाल पर सम्पादक मंडल से अलग हो कर आपने इस निर्णय के विरुद्ध हाई कोर्ट में सूट दायर किया था।

प्रोफ़ेसर अरुण काम्बले ने सन 1986 में 'आल इंडिया दलित रायटर कांफेरेंस का आयोजन किया था। आपने 'आंबेडकर भारत' , 'शुन्य' , 'संघर्ष' आदि पाक्षिक-पत्रिकाओं का सम्पादन किया था।

http://upload.wikimedia.org/wikipedia/en/f/f9/Arun_Kamble_3.JPGप्रोफ़ेसर अरुण काम्बले एक शीर्ष मराठी लेखक थे। आप मराठी भाषा के जाने-माने कवि थे। महा. साहित्य परिषद् द्वारा आपको सम्मानित किया गया था।

 आपकी कई पुस्तकों का राष्ट्रीय-अन्तराष्ट्रीय भाषाओँ में अनुवाद हुआ है।  आपकी द्वारा लिखी पुस्तकें कल्चर स्ट्रगल इन रामायण (1982), कन्वर्शन ऑफ़ डा आंबेडकर, चीवर(1995),  वाद-संवाद(1996) , युग- प्रवर्तक आंबेडकर(1995) , चळवळी  चे दिवस(1995), तर्कातीत एक वदतो व्याख्यात(1987) आदि मराठी और हिंदी साहित्य में काफी चर्चित रही ।  

प्रोफ़ेसर अरुण काम्बले की मृत्यु 20 दिस 2009 को हैदराबाद में हुई थी। एक अन्तराष्ट्रीय सेमीनार में भाग लेने आप हैदराबाद गए थे। । किन्तु वहां, वे रहस्यमय तरीके से मृत पाए गए थे। 

No comments:

Post a Comment