बेटी, बेटे से अच्छी
एक बार, कोसल नरेश पसेनदि, प्रसन्न-चित बुद्ध के पास बैठे हुए थे । इसी बीच, सन्देश वाहक ने आकर सूचना दी कि महारानी ने बेटी को जन्म दिया है। यह जान महाराजा का मन खिन्न हो गया।
"महाराज, आप एकाएक दुक्खी हो गए ?" -बुद्ध ने राजा की ओर देख कर कहा।
'भंते, सन्देशवाहक ने सूचना दी कि महारानी मल्लिका को बेटी हुई है ।"
"तो इसमें दुक्ख की क्या बात है ? हो सकता है बेटी, बेटे से बुद्धिमान और सुशील निकले। वह सबका सम्मान और आदर करने वाली हो। आपकी माता की तरह आपके जैसे महाप्रतापी पुत्र को जन्म दे।" -महाराज पसेनदि बुद्ध के चारों ओर फैली आभा को निहारते रहे और देखते रहे कि तरह माता महामाया और प्रजापति गौतमी अपने दोनों हाथ बुद्ध के सर पर रख आशीर्वचन कह रही हैं(स्रोत- 1. धीतु सुत्त : संयुक्त निकाय, भाग- 1: 3. 2. 6 । 2. बुद्ध प्रवचन: भाग- 4 : बुद्ध और उनका धम्म)।
प्रस्तुति- अ ला ऊके मो. 9630826117
एक बार, कोसल नरेश पसेनदि, प्रसन्न-चित बुद्ध के पास बैठे हुए थे । इसी बीच, सन्देश वाहक ने आकर सूचना दी कि महारानी ने बेटी को जन्म दिया है। यह जान महाराजा का मन खिन्न हो गया।
"महाराज, आप एकाएक दुक्खी हो गए ?" -बुद्ध ने राजा की ओर देख कर कहा।
'भंते, सन्देशवाहक ने सूचना दी कि महारानी मल्लिका को बेटी हुई है ।"
"तो इसमें दुक्ख की क्या बात है ? हो सकता है बेटी, बेटे से बुद्धिमान और सुशील निकले। वह सबका सम्मान और आदर करने वाली हो। आपकी माता की तरह आपके जैसे महाप्रतापी पुत्र को जन्म दे।" -महाराज पसेनदि बुद्ध के चारों ओर फैली आभा को निहारते रहे और देखते रहे कि तरह माता महामाया और प्रजापति गौतमी अपने दोनों हाथ बुद्ध के सर पर रख आशीर्वचन कह रही हैं(स्रोत- 1. धीतु सुत्त : संयुक्त निकाय, भाग- 1: 3. 2. 6 । 2. बुद्ध प्रवचन: भाग- 4 : बुद्ध और उनका धम्म)।
प्रस्तुति- अ ला ऊके मो. 9630826117
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