Monday, May 13, 2019

लीक से हटने के मायने ?

लीक से हटने के मायने ?
डॉ धर्मवीर को मैं व्यक्तिगत रूप से जानता हूँ. उनसे परिचय डॉ हेमलता महिस्वर, प्रो. जामिया मिलिया ने कराया था. उन्होंने 2-3 बार विविध विषयों पर लम्बी बात भी की थी. उनकी 'कबीर के आलोचक' जैसी रचनाओं ने हजारीप्रसाद द्विवेदी जैसे ब्राह्मण आलोचकों की तरीके से खबर ली हैं.
डॉ धर्मवीर किसी खींची लकीर पर चलने वालों में से नहीं थे. उन्होंने अपना रास्ता खुद, अलग तय किया था और इसलिए, वे तमाम स्वाभाविक अवरोधों से दो-चार भी हुए. चाहे व्यक्तिगत जीवन हो या सामाजिक. यद्यपि अम्बेडकरी/बुद्धिस्ट चिंतकों ने उनका साथ नहीं दिया तो भी वे संघर्ष करते रहे. हम जानते है कि धारा के विरुद्ध चलने वालों के पाँव के नीचे की रेत खिसकती है तब भी उन्हें खड़े रहना होता है, परन्तु यही तो प्रकृति का नियम है ?
डॉ धर्मवीर की तरह ही कभी बुद्ध को लोगों ने 'सनकी' कहा होगा, परन्तु ऐसे 'सनकी' ही तो पुराने बंधनों को तोड़ते है ? बाबा साहब डॉ अम्बेडकर ने सामाजिक आन्दोलन ब-रास्ते बुद्ध का हाथ पकड़ा था, उद्देश्य सामाजिक मुक्ति था. हमारे संघर्ष के रास्ते में जो भी सहायक होगा, बेशक दलित अपनाएंगे. अपने खिड़की-दरवाजे बंद रखने का क्या औचित्य है ?

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