ब्राह्मण संस्कार
एकं समयं सम्बहुला भिक्खू येन भगवा तेनुपसंकमिंसु।
एकं समयं सम्बहुला भिक्खू येन भगवा तेनुपसंकमिंसु।
एक समय कुछ भिक्खु जहाँ भगवान थे, गए।
उपसंकमित्वा भगवन्तं अभिवादेत्वा एकमंतं निसिदिन्सु।
उपसंकमित्वा भगवन्तं अभिवादेत्वा एकमंतं निसिदिन्सु।
जाकर भगवान को अभिवादन कर एक ओर बैठ गए।
एकमंतं निसिन्नो खो ते भिक्खू भगवन्तं एतद वोचुं-
एकमंतं निसिन्नो खो ते भिक्खू भगवन्तं एतद वोचुं-
एक ओर बैठे वे भिक्खुओं ने भगवान को यह कहा-
भंते ! पिलिन्दवच्छ नामेन भिक्खु, भिक्खुनं वसलवादेन समुदाचरति।
भंते ! पिलिन्दवच्छ नामेन भिक्खु, भिक्खुनं वसलवादेन समुदाचरति।
भंते! पिलिन्दवच्छ नाम का भिक्खु, भिक्खुओं को 'चंडाल' कह कर बुलाता है।
अथ खो भगवा अञ्ञतरं भिक्खुं आमन्तेसि-
अथ खो भगवा अञ्ञतरं भिक्खुं आमन्तेसि-
तब भगवान ने अन्य भिक्खु को बुलाया-
एहि त्वं भिक्खु, मम वचनेन पिलिन्दवच्छ भिक्खुं आमन्तेहि।
एहि त्वं भिक्खु, मम वचनेन पिलिन्दवच्छ भिक्खुं आमन्तेहि।
आओ भिक्खु, मेरे वचन से पिलिन्दवच्छ भिक्खु को बुलाओ।
आयस्मा पिलिन्दवच्छ तस्स भिक्खुनो पटिसुत्वा येन भगवा तेनुसंकमि।
आयु. पिलिन्दवच्छ उन भिक्खु को सुन कर जहाँ भगवान थे, गए।
उपसंकमित्वा भगवन्त अभिवादेत्वा एकमंतं निसीदि।
पास जाकर भगवान का अभिवादन कर एक ओर बैठ गए।
एकमंतं निसिन्न खो आयस्मंत पिलिन्दवच्छ भगवा एतद वोच-
एक ओर बैठे आयुष्मान पिलिन्द वच्छ को भगवान ने यह कहा-
"सच्चं किर, त्वं भिक्खूनं वसलवादेन सामुदाचरसि ?
वच्छ, क्या सच है कि तुम भिक्खुओं को 'चाण्डाल' कह कर बुलाते हो ?
"एवं भंते ।"
"हाँ भंते। "
"मा खो तुम्हे भिक्खवे, वच्छस्स भिक्खुनो उज्झायित्थ
मत तुम लोग भिक्खुओं, वच्छ भिक्खु के कहने से बुरा मानो।
न भिक्खवे, वच्छो दोसन्तरो भिक्खूनं वसलवादेन सामुदाचरति।
न भिक्खुओं, वच्छ कोई दोष से भिक्खुओं को 'चंडाल' कह कर बुलाता है
भिक्खु पिलिन्दवच्छ, ब्राह्मण कुले उत्पन्नो।
भिक्खु पिलिन्दवच्छ, ब्राह्मण कुल में पैदा हुए हैं।
सो तस्स वसलवादो दीघरत्त समुदाचिण्णो।
वह उसका, 'चंडाल' कहना लम्बे समय से आचरण में है।
तेन अयं भिक्खु पिलिन्दवच्छो भिक्खूनं वसल वादेन समुदाचरति।
उससे यह भिक्खु पिलिन्दवच्छ, भिक्खुओं को 'चंडाल' कह कर बुलाता है।"
आयस्मा पिलिन्दवच्छ तस्स भिक्खुनो पटिसुत्वा येन भगवा तेनुसंकमि।
आयु. पिलिन्दवच्छ उन भिक्खु को सुन कर जहाँ भगवान थे, गए।
उपसंकमित्वा भगवन्त अभिवादेत्वा एकमंतं निसीदि।
पास जाकर भगवान का अभिवादन कर एक ओर बैठ गए।
एकमंतं निसिन्न खो आयस्मंत पिलिन्दवच्छ भगवा एतद वोच-
एक ओर बैठे आयुष्मान पिलिन्द वच्छ को भगवान ने यह कहा-
"सच्चं किर, त्वं भिक्खूनं वसलवादेन सामुदाचरसि ?
वच्छ, क्या सच है कि तुम भिक्खुओं को 'चाण्डाल' कह कर बुलाते हो ?
"एवं भंते ।"
"हाँ भंते। "
"मा खो तुम्हे भिक्खवे, वच्छस्स भिक्खुनो उज्झायित्थ
मत तुम लोग भिक्खुओं, वच्छ भिक्खु के कहने से बुरा मानो।
न भिक्खवे, वच्छो दोसन्तरो भिक्खूनं वसलवादेन सामुदाचरति।
न भिक्खुओं, वच्छ कोई दोष से भिक्खुओं को 'चंडाल' कह कर बुलाता है
भिक्खु पिलिन्दवच्छ, ब्राह्मण कुले उत्पन्नो।
भिक्खु पिलिन्दवच्छ, ब्राह्मण कुल में पैदा हुए हैं।
सो तस्स वसलवादो दीघरत्त समुदाचिण्णो।
वह उसका, 'चंडाल' कहना लम्बे समय से आचरण में है।
तेन अयं भिक्खु पिलिन्दवच्छो भिक्खूनं वसल वादेन समुदाचरति।
उससे यह भिक्खु पिलिन्दवच्छ, भिक्खुओं को 'चंडाल' कह कर बुलाता है।"
स्रोत - पिलिन्द वच्छ सुत्त: उदान
- अ ला ऊके @amritlalukey.blogspot.com
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