पुणे में 'छत्रपति शिवाजी महाराज का किला' देखने के दौरान भाग्य से एक भंतेजी के दर्शन हुए थे. मैंने उन्हें नमन किया तो उन्होंने परिचय देते हुए बतलाया कि उनको 'भदंत नागेश थेरो' के नाम से जाना जाता है और कि वे वर्तमान में यरवदा (पुणे) के तक्षशिला बौद्ध विहार में रहते हैं.
आपने आगे बतलाया कि पुणे में 'आम्बेडकर म्युझियम' भी देखने लायक है. सो, हम पति-पत्नी ने प्लान बनाया और दूसरे दिन प्रात ही देखने निकल गये.आम्बेडकर म्युझियम, जैसे कि भंतेजी ने बतलाया था, सेनापति बापट रोड पर सिम्बायसिस कालेज के पास है. कुछ निर्माण कार्य चालू रहने की वजह अंदर से देखने की इजाजत नहीं थी.तो भी, बाहर-बाहर हमने देख ही लिया.
म्युझियम का निर्माण एक पहाड़ी को लेकर बनाया गया है.यूँ समझिये की पहाड़ी चढ़ने में जिस चढाव को चढ़ते हुए ऊपर जाना पड़ता है,उसे तराश कर इस म्युझियम का निर्माण
किया गया है.एरिया काफ़ी लम्बा-चौड़ा है.बड़े-बड़े शहरों में पार्किंग की आ रही दिक्कतों को देखते हुए पास के सिम्बायसिस कालेज के बच्चों को टू -व्हीलर अंदर खड़ी करने की इजाजत शायद म्युझियम प्रबंधन ने दे रखी है. ऊपर गार्डन के लान में बच्चें, दो या दो-तीन के समूह में बैठ कर पढ़ते भी नजर आये.गार्डन मेंटेन किया जा रहा था, कर्मचारी कार्य रत थे.
बुद्ध विहार का गुम्बद देखने लायक है. सामने गुम्बद से लग कर बनाये गए छोटे-छोटे कमरों में चित्रकारी द्वारा बाबा साहेब आम्बेडकर के जीवन से सम्बन्धित महत्वपूर्ण घटनाओं को उकेरते हुए दर्शकों को उनका कृतित्व समझाने का प्रयास किया गया है. म्युझियम देखने के
बाद सोचा, पहाड़ी पर चढ़ कर देखा जाय.ऊपर एक 'पगोडा'
है. हमने यादों के आईने में सहेजने के लिए यहाँ भी फोटोग्राफी की.
आपने आगे बतलाया कि पुणे में 'आम्बेडकर म्युझियम' भी देखने लायक है. सो, हम पति-पत्नी ने प्लान बनाया और दूसरे दिन प्रात ही देखने निकल गये.आम्बेडकर म्युझियम, जैसे कि भंतेजी ने बतलाया था, सेनापति बापट रोड पर सिम्बायसिस कालेज के पास है. कुछ निर्माण कार्य चालू रहने की वजह अंदर से देखने की इजाजत नहीं थी.तो भी, बाहर-बाहर हमने देख ही लिया.
म्युझियम का निर्माण एक पहाड़ी को लेकर बनाया गया है.यूँ समझिये की पहाड़ी चढ़ने में जिस चढाव को चढ़ते हुए ऊपर जाना पड़ता है,उसे तराश कर इस म्युझियम का निर्माण
किया गया है.एरिया काफ़ी लम्बा-चौड़ा है.बड़े-बड़े शहरों में पार्किंग की आ रही दिक्कतों को देखते हुए पास के सिम्बायसिस कालेज के बच्चों को टू -व्हीलर अंदर खड़ी करने की इजाजत शायद म्युझियम प्रबंधन ने दे रखी है. ऊपर गार्डन के लान में बच्चें, दो या दो-तीन के समूह में बैठ कर पढ़ते भी नजर आये.गार्डन मेंटेन किया जा रहा था, कर्मचारी कार्य रत थे.
बुद्ध विहार का गुम्बद देखने लायक है. सामने गुम्बद से लग कर बनाये गए छोटे-छोटे कमरों में चित्रकारी द्वारा बाबा साहेब आम्बेडकर के जीवन से सम्बन्धित महत्वपूर्ण घटनाओं को उकेरते हुए दर्शकों को उनका कृतित्व समझाने का प्रयास किया गया है. म्युझियम देखने के
बाद सोचा, पहाड़ी पर चढ़ कर देखा जाय.ऊपर एक 'पगोडा'
है. हमने यादों के आईने में सहेजने के लिए यहाँ भी फोटोग्राफी की.
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