![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhly7IQhjHS52dwRv8fAsZb14PtHHQqlPzjL2OooAyG6Cvo8tq1ai6D9Brib4-Uw3ir051y-08sxHQnEipKvBj1Y9QnQ5g4pFBBACr4QgYmVim7-N2KZ5JUPo14FZDnScg2IGYjpEuJR3I/s320/DSC02912.jpg)
लोनावला विजिट के दौरान पता चला कि पास ही एक 'बुदिस्ट मेडीटेशन सेंटर' है, नेकी और पूछ-पूछ. हमनें फटाफट वहां की ट्रिप लगा दी.'बुद्धिस्ट मेडीटेशन सेंटर' पहुंचने का रास्ता बड़ा अजीब-सा लगा.यह उबड-खाबड़ और गिट्टी वाला कच्चा मार्ग है.अभी पक्का रास्ता नहीं बना है.भगवान बुद्ध के विचारों को देश और विदेश में फ़ैलाने की दिशा में प्रयासरत ख्यात प्राप्त 'त्रेलोक्य महासंघ' द्वारा संचालित यह 'मेडीटेशन सेंटर' लोनावला से ८-१० की.मी. दूर 'भाजा-कारला नामक गावों के घने जंगलों में पहाड़ियों के बीच बनाया गया है. यहाँ आने के
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खैर, कार से हम मेडीटेशन सेंटर पंहुच गए. बौद्ध मठ के करीब आधा कि मी दूर ही हमें अपनी कार छोडनी पड़ी. मगर बौद्ध मठ देख कर सुखद एहसास हुआ. निपट घने जंगलों में पहाड़ों और झरनों के बीच निर्मित इस तरह के मेडीटेशन सेंटर में प्रकृति को आत्म-सात करते हुए बड़ा सुखद अहसास होता है. दिन के करीब ११ बज रहे होंगे.
मठ के अंदर एक प्रशिक्षण शिविर चल रहा था,जिसमें Centre for Non Violence Communication* ग्रुप के प्रशिक्षक अनिरुद्ध सर 'Non Violence Communication' पर प्रशिक्षण दे रहे थे.करीब २०-२५ का ग्रुप होगा. दल में हर वर्ग और आयु के सदस्य थे जिनमें महिलाएं भी थी. प्रशिक्षण के दौरान पढाये गए उक्त टापिक पर प्रशिक्षक, एक्सपेरिमेंट के द्वारा समझाने का प्रयास कर रहे थे. भाषा मराठी थी. मराठी में मेरे साथ थोड़ी दिक्कत रहती है. मैंने अपनी व्यथा कही, मगर प्रशिक्षक शायद अपनी क्लास पर केन्द्रित थे
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काफ़ी बड़ा-सा बौद्ध मठ है. मेरे ख्याल से ३-४ एकड़ के एरिया में निर्माण होगा.पहाड़ को काट कर शायद बनाया गया हो. मगर, वहां के प्राकृतिक सोंदर्य से छेड़-छाड़ नहीं की गई थी.पर्यावरण कि दृष्टि से कतई कोई चीज नहीं चुभ रही थी. बहुत ही शांत लग रहा था. मठ, कुछ-कुछ पुराने ज़माने की अंग्रेजी शैली के भवनों की तर्ज निर्मित लगा .मठ के अंदर प्रवेश करते ही सामने भगवान बुद्ध की बड़ी-सी मूर्ति पद्मासन में विराजमान है. कक्ष काफ़ी बड़ा है. कक्ष के दोनों तरफ बैठने हेतु छोटी-छोटी गद्दियाँ रखी है जो अनायास आपका ध्यान खींचती करती है. आपसे अपेक्षा होती है कि बैठने के पूर्व ढेर से गद्दियाँ ले और फिर उस पर बैठे.![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhwW8wdT65YGgvFWQ6mjEcuiJMtQNpRIop5ZaZYk715lHtixowrwfuvyzem9Nyq58prl3ApRgqf2srwvfNNgHbXM5v0BMfEO4jc7o90Uj7-raLBEtHi0VFENOsIyOfAtkNk0yh41EnkkYw/s320/DSC02888.jpg)
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मठ से लगी हुई और भी आवास-व्यवस्था हैं,जहाँ पर शिविर में भाग लेने वाले सदस्य
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करीब २ घंटे इस साधना शिविर में हम ने बिताया. मगर, यह कभी न भूलने वाला अनुभव था.
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