Friday, September 11, 2020

तव लेखनं

 तव लेखनं

(तुम्हारा लेखन)

त्वं लिखसि-

(तुम लिखते हो)

''सहिच्च, समाजस्स दप्पणं अत्थि''

(साहित्य, समाज का दर्पण है)

पन,  भणे

(परन्तु,  भाई) 

तस्मिं दप्पणे, मम पटिबिम्बो

(उस दर्पण में, मेरा अक्स )

एत्तकं दुवण्णं  किं ?

इतना गन्दा क्यों ?


त्वं वदसि-

साहिच्च,  

इतिहास लेखनं अत्थि.


पन भणे,

त्वयि इतिहासे

(तुम्हारे इतिहास में)

मम इतिहासो

(मेरा इतिहास) 

कुत्थ अत्थि ?

(कहाँ है ?)


त्वं कथसि-

साहिच्च, 

सम्यक भावेन 

(सम्यक भाव से)

लेखनीयं.

(लिखना चाहिए)


पन भणे,

त्वयि लेखने

(तुम्हारे लेखन में)

पदे-पदे 

(कदम-कदम पर)

सत्तु-भाव दिस्सति.

(शत्रु-भाव दिखता है)


न मानेमि, अहं 

(नहीं मानता हूँ, मैं)

तवं च

(तुमको और)

तव साहिच्चं

(तुम्हारे साहित्य को)

यं दुस्सेति ममं च

(जो दूषित करता है, मुझे और )

मम जीवनं.

(मेरे जीवन को)


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