तव लेखनं
(तुम्हारा लेखन)
त्वं लिखसि-
(तुम लिखते हो)
''सहिच्च, समाजस्स दप्पणं अत्थि''
(साहित्य, समाज का दर्पण है)
पन, भणे
(परन्तु, भाई)
तस्मिं दप्पणे, मम पटिबिम्बो
(उस दर्पण में, मेरा अक्स )
एत्तकं दुवण्णं किं ?
इतना गन्दा क्यों ?
त्वं वदसि-
साहिच्च,
इतिहास लेखनं अत्थि.
पन भणे,
त्वयि इतिहासे
(तुम्हारे इतिहास में)
मम इतिहासो
(मेरा इतिहास)
कुत्थ अत्थि ?
(कहाँ है ?)
त्वं कथसि-
साहिच्च,
सम्यक भावेन
(सम्यक भाव से)
लेखनीयं.
(लिखना चाहिए)
पन भणे,
त्वयि लेखने
(तुम्हारे लेखन में)
पदे-पदे
(कदम-कदम पर)
सत्तु-भाव दिस्सति.
(शत्रु-भाव दिखता है)
न मानेमि, अहं
(नहीं मानता हूँ, मैं)
तवं च
(तुमको और)
तव साहिच्चं
(तुम्हारे साहित्य को)
यं दुस्सेति ममं च
(जो दूषित करता है, मुझे और )
मम जीवनं.
(मेरे जीवन को)
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