धम्म बंधुओं, 'आओ पालि सीखें' वाट्स-एप ग्रुप के द्वारा आपको घर बैठे, आपके समय/सुविधानुसार पालि भाषा सीखाने का प्रयास किया जाता है।
प्रत्येक दिन करीब 9.00 बजे वाट्सएप ग्रुप पर पढाया जाने वाला पाठ/अभ्यास पोस्ट किया जाता है और 16.00 से 16.40 तक नए अभ्यर्थियों की तथा 16.40 से 17.30 के मध्य सीनियर अभ्यर्थियों की आन-लाइन क्लास ली जाती है। इच्छुक उपासक/उपासिका इस ग्रुप में शामिल होकर नि:शुल्क पालि भाषा सीख सकते हैं।
01.09. 2020
अज्ज पाठो
विभत्ति रूपा
द्वि(दो)
‘द्वि’ के रूप तीनों लिंगों में समान(लिंगत्तये समं) और सदा अनेकवचन में होते हैं।
विभत्ति अनेकवचनं
पठमा दुवे, द्वे
दुतिया दुवे, द्वे
ततिया द्वीहि, द्वीभि
चतुत्थी द्विन्नं, दुविन्नं
पञ्चमी द्वीहि, द्वीभि
छट्ठी द्विन्नं, दुविन्नं
सत्तमी द्वीसु
द्विन्नं अनेका रूपा-
दुजिव्हे(सांप)। द्वेंगुला/दुवे-अंगुला(दो अंगुल चौड़ा)
द्विज(पक्षी)। दुविधा(दो प्रकार से)
दिगुणा। द्वादस।
द्वेतिंसति। द्वेमासिका।
सरलानि वाक्यानि-
द्वे इत्थियो, द्वे पुरिसा, द्वे पुरिसे, द्वे चित्तानि।
दुवे इत्थियो, दुवे पुरिसा, दुवे पुरिसे, दुवे चित्तानि।
द्वि‘हं अतिक्कतं। दो दिन बीत चुके हैं।
नागस्स दुवेसु दन्तेसु निम्मिता।
मा एकेन द्वे अगमित्थ।
अहं द्वीहि नेत्तेहि पस्सामि।
अहं द्वीहि पादेहि चलामि।
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02.09. 2020
अज्ज पाठो
विभत्ति रूपा
द्वि(दो)
‘द्वि’ के रूप तीनों लिंगों में समान(लिंगत्तये समं) और सदा अनेकवचन में होते हैं।
विभत्ति अनेकवचनं
पठमा दुवे, द्वे
दुतिया दुवे, द्वे
ततिया द्वीहि, द्वीभि
चतुत्थी द्विन्नं, दुविन्नं
पञ्चमी द्वीहि, द्वीभि
छट्ठी द्विन्नं, दुविन्नं
सत्तमी द्वीसु
द्विन्नं अनेका रूपा-
दुजिव्हे(सांप)। द्वेंगुला/दुवे-अंगुला(दो अंगुल चौड़ा)
द्विज(पक्षी)। दुविधा(दो प्रकार से)
दिगुणा। द्वादस।
द्वेतिंसति। द्वेमासिका।
सरलानि वाक्यानि-
द्वे इत्थियो, द्वे पुरिसा, द्वे पुरिसे, द्वे चित्तानि।
दुवे इत्थियो, दुवे पुरिसा, दुवे पुरिसे, दुवे चित्तानि।
द्वि‘हं अतिक्कतं। दो दिन बीत चुके हैं।
नागस्स दुवेसु दन्तेसु निम्मिता।
मा एकेन द्वे अगमित्थ।
अहं द्वीहि नेत्तेहि पस्सामि।
अहं द्वीहि पादेहि चलामि।
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03.09. 2020
अज्ज पाठो
विभत्ति रूपा
ति (तीन)
‘ति’ शब्द भी सदा अनेकवचन में होता है,
किन्तु इसके रूप तीनों लिंगों में भिन्न होते हैं.
विभत्ति- पुल्लिंगे- इत्थिलिंगे
पठमा- तयो- तिस्सो
दुतिया- तयो- तिस्सो
ततिया- तीहि/तीभि- तीहि/तीभि
चतुत्थी- तिण्णं/तिण्णनं- तिस्सन्नं
पञ्चमी- तीहि/तीभि- तीहि/तीभि
छट्ठी- तिण्णं/तिण्णनं- तिस्सन्नं
सत्तमी- तीसु- तीसु
नपुंसकलिंगे-
पठमा- तीणि
दुतिया- तीणि
-सेसं पुल्लिंग समं
तिस्सो इत्थियो, चतस्सो इत्थियो।
तिस्सेहि, चतस्सेहि परिसाहि।
तीहि, तीभि इत्थीहि।
चतूहि, चतुभि इत्थीहि।
तिस्सन्नं इत्थीनं, चतस्सन्नं इत्थीनं।
तीण्णं इत्थीनं, चतुन्नं इत्थीनं।
तयो पुरिसा, तयो पुरिसे।
चत्तारो पुरिसा, चत्तारो पुरिसे।
चतुरो पुरिसा, चतुरो पुरिसे।
तीणि चित्तानि, चत्तारि चित्तानि।
द्वे वीसतियो बुद्धदन्ता।
तिस्सो वीसतियो दिनघटिका।
तयो महाभूता, तयो महाभूते।
समणो गोतमो चतुन्नं परिसानं पियो होति।
मासे चत्तारो सत्ताहा होन्ति।
देसस्स चतुसु भागेसु बहु सन्ति अत्थि।
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06.09. 2020
अज्ज पाठो
विभत्ति रूपा : चतु(चार)
‘चतु’ शब्द भी सदा अनेकवचन में होता है,
किन्तु इसके रूप तिनों लिंगों में भिन्न होते हैं-
विभत्ति- पुल्लिंगे इत्थीलिंगे
पठमा- चत्तारो/चतुरो चतस्सो
दुतिया- चत्तारो/चतुरो चतस्सो
ततिया- चतूहि/चतूभि चतूहि/चतूभि
चतुत्थी- चतुन्नं चतस्सनं
पञ्चमी- चतूहि/चतूभि चतूहि/चतूभि
छट्ठी- चतुन्नं चतस्सनं
सत्तमी- चतुसु/चतूसु चतुसु/चतूसु
नपुंसकलिंगे
विभत्ति- नपुंसकलिंगे
पठमा- चत्तारि
दुतिया- चत्तारि
सेसं पुल्लिगं समं
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07. 09. 2020
अज्ज पाठो
विभत्ति रूपा : पञ्च(पांच)
विभत्ति अनेकवचनं
पठमा पञ्च
दुतिया पञ्च
ततिया पञ्चहि, पञ्चभि
चतुत्थी पञ्चन्नं
पञ्चमी पञ्चहि, पञ्चभि
छट्ठी पञ्चन्नं
सत्तमी पञ्चसु
इसी प्रकार पञ्च’ से अट्ठारस’ तक की संख्याओं के रूप सदा अनेकवचन में
और तीनों लिंगों में समान(लिंग त्तये समं) होते हैं-
पयोगा-
2. पुल्लिंगे- इत्थीलिंगे- नपुंसकलिंगे
एको बालको- एका बालिका- एकं फलं
द्वि बालका - द्वि बालिकायो- द्वि फलानि
तयो बालका- तिस्सो बालिकायो- तीनि फलानि
चतुरो बालका- चतस्सो बालिकायो- चत्तारि फलानि
पञ्च बालका- पञ्च बालिकायो- पञ्च फलानि
छह बालका- छह बालिकायो- छह फलानि
06- 09- 2020
नए पालि अभ्यर्थियों के लिए
मम दिनचरिया (1)
मम नाम विसाखा।
मेरा नाम विसाखा है।
अहं सोळस वस्सीया बालिका।
मैं 16 वर्षीय बालिका हूँ।
मम नाम सीलरतनो।
मेरा नाम शीलरत्न है।
अहं सोळस वस्सीयो बालको।
मैं 16 वर्षीय बालक हूँ।
अहं दसमे वग्गे अज्झयन करोमि।
मैं 10वेें वर्ग/कक्षा में पढ़ती/पढ़ता हूँ ।
मम पिता कसको अत्थि।
मेरे पिता किसान है।
मम पिता सासकीय अधिकरी।
मम पिता व्यवसायी।
मम नाम रतनमानिका।
मेरा नाम रत्नमानिका है।
अहं गहणी।
मैं गृहणी हूँ।
मम नाम जोति।
अहं सासकीय अधिकारी।
मम नाम ललिता।
अहं समाजसेविका।
अहं पभाते(सुबह) उट्ठहामि।
मैं सुबह उठती/उठता हूँ।
उट्ठहित्वा मात-पितुनो दस्सनं(दर्शन) करोमि।
उठकर मात-पिता के दर्शन करती/करता हूँ।
बुद्धं वन्दामि।
बुद्ध को वन्दन करती/करता हूँ।
ततो एकं चसकं(गिलास) जलं पिबामि।
उसके बाद एक गिलास जल पीती/पीता हूँ।
ततो पात-किरिया(प्रातः क्रिया) सम्पादेमि।
उसके बाद प्रातः क्रिया का सम्पादन करती/करता हूँ ।
ततो दन्त मज्जनं, मुख धोवनं करोमि।
उसके बाद दन्त मन्जन, मुंह धोती/धोता हूँ ।
वत्थेन(वस्त्र से) मुखं पुच्छामि।
वस्त्र के मुंह पोंछती/पोंछता हूँ ।
अनन्तरं पात-भमणं करोमि।
अनन्तर प्रातः भ्रमण करती/करता हूँ ।
पात-भमणं आरोग्यकारी।
प्रातः भ्रमण आरोग्यकारी होती है।
पात वायु सुखकारी।
प्रातः वायु सुखकारी होती है।
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08. 09. 2020
अज्ज पाठो
विभत्ति रूपा : चतु(चार)
5.6. पञ्च(पांच)
विभत्ति अनेकवचनं
पठमा पञ्च
दुतिया पञ्च
ततिया पञ्चहि, पञ्चभि
चतुत्थी पञ्चन्नं
पञ्चमी पञ्चहि, पञ्चभि
छट्ठी पञ्चन्नं
सत्तमी पञ्चसु
इसी प्रकार पञ्च’ से अट्ठारस’ तक की संख्याओं के रूप सदा अनेकवचन में
और तीनों लिंगों में समान(लिंग त्तये समं) होते हैं-
पयोगा-
1. पञ्चहि, पञ्चन्नं, पञ्चसु, छहि, छन्नं, छसु, सत्तहि, सत्तन्नं, सत्तसु, अट्ठहि, अट्ठन्नं, अट्ठसु, नवहि, नवन्नं, नवसु, दसहि, दसन्नं, दससु, एकादसहि, एकादसन्नं, एकादसु...पे...अट्ठारहि, अट्ठारसन्नं, अट्ठारससु।
2. पुल्लिंगे इत्थीलिंगे नपुंसकलिंगे
एको बालको एका बालिका एकं फलं
द्वि बालका द्वि बालिकायो द्वि फलानि
तयो बालका तिस्सो बालिकायो तीनि फलानि
चतुरो बालका चतस्सो बालिकायो चत्तारि फलानि
पञ्च बालका पञ्च बालिकायो पञ्च फलानि
छह बालका छह बालिकायो छह फलानि
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09. 09. 2020
‘उ’ कारान्त
अथ ‘उ’कारान्त विभत्ति रूपानि दीपियन्ते।
पुल्लिंगे -
‘भिक्खु’
विभत्ति- एकवचनं- अनेकवचनं
पठमा(ने)- भिक्खु- भिक्खू, भिक्खवो
दुतिया(को)- भिक्खुं- भिक्खू,भिक्खवो
ततिया(से/के द्वारा)- भिक्खुना- भिक्खूहि,भिक्खूभि
चतुत्थी(को/के लिए)- भिक्खुस्स, भिक्खुनो- भिक्खूनं
पञ्चमी(से)- भिक्खुना- भिक्खूहि, भिक्खूभि
भिक्खुस्मा,भिक्खुम्हा
छट्ठी(का, के, लिए)- भिक्खुस्स, भिक्खुनो- भिक्खूनं
सत्तमी(में, पर/पास)- भिक्खुस्मिं,भिक्खुम्हि- भिक्खुसु, भिक्खूसु
आलपनं- भिक्खु, भिक्खू, भिक्खवो,भिक्खवे
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11. 09. 2020
‘उ’ कारान्त
अथ ‘उ’कारान्त विभत्ति रूपानि दीपियन्ते।
पुल्लिंगे -
‘भिक्खु’
विभत्ति- एकवचनं- अनेकवचनं
पठमा(ने)- भिक्खु- भिक्खू, भिक्खवो
दुतिया(को)- भिक्खुं- भिक्खू,भिक्खवो
ततिया(से/के द्वारा)- भिक्खुना- भिक्खूहि,भिक्खूभि
चतुत्थी(को/के लिए)- भिक्खुस्स, भिक्खुनो- भिक्खूनं
पञ्चमी(से)- भिक्खुना- भिक्खूहि, भिक्खूभि
भिक्खुस्मा,भिक्खुम्हा
छट्ठी(का, के, लिए)- भिक्खुस्स, भिक्खुनो- भिक्खूनं
सत्तमी(में, पर/पास)- भिक्खुस्मिं,भिक्खुम्हि- भिक्खुसु, भिक्खूसु
आलपनं- भिक्खु, भिक्खू, भिक्खवो,भिक्खवे
समं रूपं-
उच्छु (ऊख), उजु (सीधा), कारु (कारीगर), कत्तु (कत्ता), केतु (पताका), खाणु (ठूठ), गरु, चारु (सुन्दर), जन्तु, पसु, पटु, फरसु, भानु, मच्चु (मृत्यु), मधु मेरु, तरु, बन्धु, बब्बु (बुलबुला), बिन्दु, बाहु, रेणु, रुरु (हिरण) वेणु/वेलु (बांस), सत्तु (शत्रु), सिसु, सिंधु, सेतु, हेतु आदि।
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12. 09. 2020
‘उ’ कारान्त
अथ ‘उ’कारान्त विभत्ति रूपानि दीपियन्ते।
पुल्लिंगे -
‘भिक्खु’
विभत्ति- एकवचनं- अनेकवचनं
पठमा(ने)- भिक्खु- भिक्खू, भिक्खवो
दुतिया(को)- भिक्खुं- भिक्खू,भिक्खवो
ततिया(से/के द्वारा)- भिक्खुना- भिक्खूहि,भिक्खूभि
चतुत्थी(को/के लिए)- भिक्खुस्स, भिक्खुनो- भिक्खूनं
पञ्चमी(से)- भिक्खुना- भिक्खूहि, भिक्खूभि
भिक्खुस्मा,भिक्खुम्हा
छट्ठी(का, के, लिए)- भिक्खुस्स, भिक्खुनो- भिक्खूनं
सत्तमी(में, पर/पास)- भिक्खुस्मिं,भिक्खुम्हि- भिक्खुसु, भिक्खूसु
आलपनं- भिक्खु, भिक्खू, भिक्खवो,भिक्खवे
समं रूपं-
उच्छु (ऊख), उजु (सीधा), कारु (कारीगर), कत्तु (कत्ता), केतु (पताका), खाणु (ठूठ), गरु, चारु (सुन्दर), जन्तु, पसु, पटु, फरसु, भानु, मच्चु (मृत्यु), मधु मेरु, तरु, बन्धु, बब्बु (बुलबुला), बिन्दु, बाहु, रेणु, रुरु (हिरण) वेणु/वेलु (बांस), सत्तु (शत्रु), सिसु, सिंधु, सेतु, हेतु आदि।
सरलानि वाक्यानि-
भिक्खु अस्सं पस्सति।
भानु नभे रोचति।
दारका उच्छुं खादन्ति।
भिक्खुनो मच्चु दिस्सति।
सत्तुनो पुत्तो सीसं धुनाति।
वेलूहि सत्तुं हिंसति।
बन्धु नरपतिं थुनाति।
रेणुम्हि रजं नत्थि
फरसुना दारका रुक्खं छिन्दन्ति।
संकुना खेत्तं खणति।
गरुनो भरिया वत्थं सिनाति।
बाहुना सो गजं पहरति।
रेणुम्हा भमरो गन्धं गण्हति।
तुम्हे हेतुं इच्छथ।
मयं संकूहि कूपं खणाम।
उच्छुं जना खादन्ति।
सब्बेसं भिक्खूनं आनन्दो दस्सनीयतमो।
भिक्खवो विहारे भत्तं अस्नन्ति। खाना खाते हैं।
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13. 09. 2020
अतीत(भूत) कालो
परस्स्पद
पुरिस एकवचन अनेकवचन
उ. पु.- अहं पठिं(मैंने पढ़ा)। मयं पठिम्ह/पठिम्हा(हमने पढ़ा)।
म. पु.- त्वं पठि/पठो(तुमने पढ़ा) तुम्हे पठित्थ(तुम लोगों ने पढ़ा)।
प. पु.- सो पठि/पठी(उसने पढ़ा)। ते पठिंसु/पठुं(उन्होंने पढ़ा)।
सरलानी वाक्यानि-
सो अयं पस्सि. उसने यह देखा.
मैंने उसको नहीं देखा. अहं तं न पस्सि.
देखा मैंने तुमको, देखा मैंने यारा.
पस्सिं अहं तं, अहं पस्सि तुवं मित्तं.
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15. 09. 2020
अतीत(भूत) कालो: परस्स्पद
1. कभी-कभी धातु के पहले ‘अ’ उपसर्ग जोड़ा जाता है। यथा- अपठिं(अ-पठिं)।
पुरिस एकवचन अनेकवचन
उ. पु.- अहं अपठिं। यं अपठिम्ह/अपठिम्हा।
म. पु.- त्वं अपठि/अपठो। तुम्हे अपठित्थ।
प. पु.- सो अपठि/अपठी। ते अपठिंसु/पठुं।
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16. 09. 2020
अतीत(भूत) कालो: परस्स्पद
पुरिस एकवचन अनेकवचन
उ. पु.- अहं पठिं(मैंने पढ़ा)। मयं पठिम्ह/पठिम्हा(हमने पढ़ा)।
म. पु.- त्वं पठि/पठो(तुमने पढ़ा) तुम्हे पठित्थ(तुम लोगों ने पढ़ा)।
प. पु.- सो पठि/पठी(उसने पढ़ा)। ते पठिंसु/पठुं(उन्होंने पढ़ा)।
टीप- 1. कभी-कभी धातु के पहले ‘अ’ उपसर्ग जोड़ा जाता है। यथा- अपठिं(अ-पठिं)।
पुरिस एकवचन अनेकवचन
उ. पु.- अहं अपठिं। यं अपठिम्ह/अपठिम्हा।
म. पु.- त्वं अपठि/अपठो। तुम्हे अपठित्थ।
प. पु.- सो अपठि/अपठी। ते अपठिंसु/पठुं।
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17. 09. 2020
अतीत(भूत) कालो: परस्स्पद
पुरिस एकवचन अनेकवचन
उ. पु.- अहं पठिं(मैंने पढ़ा)। मयं पठिम्ह/पठिम्हा(हमने पढ़ा)।
म. पु.- त्वं पठि/पठो(तुमने पढ़ा) तुम्हे पठित्थ(तुम लोगों ने पढ़ा)।
प. पु.- सो पठि/पठी(उसने पढ़ा)। ते पठिंसु/पठुं(उन्होंने पढ़ा)।
टीप- 1. कभी-कभी धातु के पहले ‘अ’ उपसर्ग जोड़ा जाता है। यथा- अपठिं(अ-पठिं)।
पुरिस एकवचन अनेकवचन
उ. पु.- अहं अपठिं। यं अपठिम्ह/अपठिम्हा।
म. पु.- त्वं अपठि/अपठो। तुम्हे अपठित्थ।
प. पु.- सो अपठि/अपठी। ते अपठिंसु/पठुं।
वाक्यानि पयोगा-
पिता पोथकं अपठि।
दारका गामेसु विचरिंसु।
वाणिजस्स गेहे दारिका उप्पज्जि।
मयं तिपिटकं पठिम्ह।
गिरिस्मिं दीपि अजे पस्सि, सो ते खादिस्सति।
अहं हत्थेन लिखिं, नेत्तेहि पस्सिं, मुखेन पठिं।
सो कुक्करो तेन वानरेन गिरिं गच्छि।
भानुस्स अंसओ(किरणे) सिन्धुस्मिं पतिंसु।
गहपति गोपस्मा दधिं लभि, तस्मिं दधिस्मिं वारि पति।
सकुणा तेहि रुक्खेहि डयिंसु, कपयो धाविंसु ते ते न लभिंसु।
सिस्सा आचरियस्स घरं गच्छिंसु, भत्तं भुजिंसु, फलानि लभिंसु।
गहपतिनं गजा यस्मिं तड़ागे नहायिंसु तस्मिं तस्स सो किंकरो अपि नहायि।
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18. 09. 2020
पुरिस एकवचन अनेकवचन
उ. पु.- अहं अहोसिं/अहुं मयं अहोसिम्हा/अहुम्हा।
म. पु.- त्वं अहोसि तुम्हे अहोसित्थ।
प. पु.- सो अहोसि/अहु ते अहेंसु।
अलत्थ पब्बजं अलत्थ उपसम्पदं च।
प्रव्रज्जा प्राप्त किया और उपसम्पदा प्राप्त किया.
लोकधातु पकम्पथ। लोक-धातु कांपि।
सो अगमा। सो अका। वह आया। वह किया।
ते अगमु भगवा एतदवोच। उनके आने पर भगवान ने यह कहा।
मयं एवं अवचम्हा। हमने ऐसा कहा।
मयं न अकरम्हा। हमने नहीं किया।
मयं एवं कातुं न अददम्हा। हमने ऐसा करने नहीं दिया।
भगवान ने भिक्खुओं को देखा। अद्दसा भगवा भिक्खूनं।
मैंने बुद्धविहार देखा। अपस्स अहं बुद्धविहारं।
मैं बुद्ध की शरण गया, इसलिए तुमको मद्यपान करने नहीं दिया।
अहं बुद्धं सरणं आगच्छ, एवं च मज्झपानं न त्वं अकासि।
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19. 09. 2020
भूतकाल में कुछ और धातुओं के रूप -
1. गमेति (गम)- जाता है.
पुरिस एकवचन अनेकवचन
उ. पु.- अहं गमिं/अगमिं मयं गमिम्हा/अगमिम्हा।
म. पु.- त्वं गमि/अगमि तुम्हे गमित्थ/अगमित्थ।
प. पु.- सो गमि/अगमि ते गमिंसु/अगमिंसु।
2. गच्छति(गम)- जाता है.
पुरिस एकवचन अनेकवचन
उ. पु.- अहं गच्छिं/अगच्छिं मयं गच्छिम्हा/अगच्छिम्हा।
म. पु.- त्वं गच्छि/अगच्छि तुम्हे गच्छित्थ/अगच्छित्थ।
प. पु.- सो गच्छि/अगच्छि ते गच्छिंसु/अगच्छिंसु।
सरलानी वाक्यानि-
कुतो त्वं आगतो'सि ?
अहं दिल्ली नगरतो अगच्छिं.
कस्मा इध आगतो 'सि ?
अहं नगर भमणं कातुं आगच्छिं
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भूतकाल में कुछ धातुओं के रूप -
2. होति( हू)- होता है.
(अ)वत्तमान कालो
पुरिस एकवचन अनेकवचन
उ. पु.- अहं होमि मयं होम।
म. पु.- त्वं होसि तुम्हे होथ।
प. पु.- सो होति ते होन्ति।
(ब) भूतकालो-
पुरिस एकवचन अनेकवचन
उ. पु.- अहं अहोसिं/अहुं मयं अहुम्हा।
म. पु.- त्वं अहोसि तुम्हे अहोसित्थ।
प. पु.- सो अहोसि ते अहेंसु/अहू।
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21. 09. 2020
चुरादि गण की धातुए-
कथेति(कथ)- कहता है, बतलाता है.
1.
पुरिस एकवचन अनेकवचन
उ. पु.- अहं अकथिं मयं अकथिम्हा।
म. पु.- त्वं अकथि तुम्हे अकथित्थ।
प. पु.- सो अकथि ते अकथिसुं।
पुरिस एकवचन अनेकवचन
उ. पु.- अहं कथयि/अकथयि मयं अकथिम्हा।
म. पु.- त्वं अकथि तुम्हे अकथित्थ।
प. पु.- सो अकथि ते अकथिसुं।
2.
पुरिस एकवचन अनेकवचन
उ. पु.- अहं कथेसिं मयं कथेसिम्हा।
म. पु.- त्वं कथेसि तुम्हे कथेसित्थ।
प. पु.- सो कथेसि ते कथेसिंसु।
समं रूपं - चोरेति, देसेति, परिदेवेति, आमन्ततेति इच्चादि.
सरलानि वाक्यानि-
मा कथेसि. मत बोल.
अहं तं न पोथेसि. मैंने उसको नहीं पीटा.
भिक्खु तस्स उपकारं सरित्वा पब्बाजेसि।
एकदा मल्लिका जेतवनं अगमासि।
दारको हत्थेन नागस्स सीसं परामसि।
सो सिद्धत्थं अकथयि-
उसने सिद्धार्थ से कहा-
राजा द्वीहि वचनं सुतवा अकथयि-
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22. 09. 2020
पस्सति(पस्स)- देखता है.
भूतकाले-
(अ) पस्सि- देखा
पुरिस एकवचन अनेकवचन
उ. पु.- अहं पस्सिं मयं पस्सिम्ह।
म. पु.- त्वं पस्सि तुम्हे पस्सित्थ।
प. पु.- सो पस्सि ते पस्सिसुं।
(ब). अद्दसा- देखा.
पुरिस एकवचन अनेकवचन
उ. पु.- अहं अद्दसं मयं अद्दसाम।
म. पु.- त्वं अद्दसा तुम्हे अद्दसत्थ।
प. पु.- सो अद्दसा ते अद्दसंसु।
सरलानि वाक्यानि-
अद्दसा भगवा भिक्खूनं.
भगवान ने भिक्खुओं को देखा.
अद्दसा भगवन्तं भिक्खवो.
भिक्खुओं ने भगवान को देखा.
अहं तुवं अद्दसं परं त्वं न लभि.
मैंने तुम को देखा पर तुम न मिले.
पितु कोधेन पुत्तं अद्दसा.
पिता ने पुत्र को क्रोध से देखा.
कि त्वं दिक्खा-भूमि अद्दसा ?
क्या तुमने दीक्षा-भूमि देखा ?
अहं त्वं अद्दसं पर तुव न लभि.
मैंने तुमको देखा पर तुम नहीं मिले.
अहं यत्थ अद्दसं, तत्थ अद्दसं परं सब्बत्थ तुवं न लभि.
मैंने यहाँ देखा, वहां देखा पर तुम कहीं भी नहीं मिले.
मातु पेमेन पुत्तं अद्दसा.
माता ने प्रेम से पुत्र को देखा.
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23. 09. 2020
3. (अस)- होता है
(अ) वत्तमान काले
पुरिस एकवचन अनेकवचन
उ. पु.- अहं अस्मिं/अम्हि मयं अस्म/अम्ह।
म. पु.- त्वं असि तुम्हे अत्थ।
प. पु.- सो अत्थि ते सन्ति.
(ब) भूतकाले-
पुरिस एकवचन अनेकवचन
उ. पु.- अहं आसिं मयं आसिम्ह।
म. पु.- त्वं आसि तुम्हे आसित्थ।
प. पु.- सो आसि/आसी ते आसुं/ आसिसुं।
सरलानि वाक्यानि-
भवं कुसलं अत्थि ?
आम! अहं कुसलं अम्हि.
अहं तया संद्धि सल्लपितुं आगतो अम्हि.
भीम राव पितुस्स नाम रामजी सकपालो आसि.
महा ओभासो आसि। महा प्रकाश था।
उपवने सब्बत्थ मग्गा अलंकता आसुं.
उपवन में/के सभी मार्ग अलंकृत थे.
उपवन पकतिया दिट्ठं अब्भुतं आसी.
उपवन की प्रकृति दिखने में अद्भुत थी
परिसरो सब्बत्थ संतिमय आसी.
परिसर सब जगह शांतिमय था.
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24. 09. 2020
वुच्चति(वच)- कहा जाता है.
(अ) वत्तमान काले
पुरिस एकवचन अनेकवचन
उ. पु.- अहं वुच्चामि मयं वुच्चाम ।
म. पु.- त्वं वुच्चसि तुम्हे वुचत्थ .
प. पु.- सो वुच्चति ते वुच्चन्ति.
(ब) वोच(भूतकाल किरिया)- कहा
पुरिस एकवचन अनेकवचन
उ. पु.- अहं अवोचं मयं अवचुम्ह ।
म. पु.- त्वं अवोच तुम्हे अवोचुत्थ .
प. पु.- सो अवोच ते अवोचुं.
सरलानि वाक्यानि-
1. अहं त्वं एतद अवोच्चं.
मैंने तुम्हे ऐसा कहा.
2. तस्सा भत्तु ता एतद अवोच.
उसके पति ने उसे ऐसा कहा.
3. महामाया रञ्ञं सुद्धोदनं एतद अवोच.
महामाया ने राजा शुद्धोदन को ऐसा कहा.
4. भगवा भिक्खूनं एतद अवोच.
भगवान ने भिक्खुओं को इस प्रकार कहा.
5. भिक्खवो भगवन्तं एतद अवोचुं.
भिक्खुओं ने भगवान को ऐसा कहा.
6. तुम लोगों ने उसे ऐसा किसलिए कहा ?
तुम्हे तं एतद किमत्थं अवुचत्थ ?
7. तुमने किसलिए ऐसा कहा.
त्वं किमत्थं एतद अवोच ?
9. सो ममं अक्कोसि, अतो अहं तं एतद अवोचं.
उसने मुझे गाली दिया इसलिए मैंने उसे ऐसा कहा.
8. तुमने मुझे यह कहा इसलिए मैंने तुम्हे ऐसा कहा.
त्वं एतद मम वुच्चसि अतो अहं तुवं एतद अवोच्चं.
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25. 09. 2020
करोति(कर)- करता है.
भूतकाल में रूप -
1. करि/अकरि- किया
पुरिस एकवचन अनेकवचन
उ. पु.- अहं अकरिं मयं अकरिम्ह/अकरिम्हा।
म. पु.- त्वं अकरि तुम्हे अकरित्थ।
प. पु.- सो अकरि ते अकरिंसु/अकरुं।
2. अका/अकासि(कर)- किया.
पुरिस एकवचन अनेकवचन
उ. पु.- अहं अकासिं मयं अकम्हा।
म. पु.- त्वं अकासि तुम्हे अकत्थ।
प. पु.- सो अका ते अकंसु।
समं रूपं- अट्ठा(खड़ा हुआ), अदा(दिया), पहासि(त्यागा/छोड़ा), अहोसि इच्चादि.
सरलानि वाक्यानि-
1. न अकरि एवं न च अकासि-
न किया और न करने दिया.
2. न अहं सुरापानं करिं एवं न च तुवं अकासि.
न मैंने मद्यपान किया और न तुमको करने दिया.
3. न त्वं अकुसलं कम्मं करि एवं न च ममं अकासि.
न तुमने अकुशल कर्म किया और न मुझे करने दिया.
4. न त्वं खादि एवं न च ममं अकासि.
न तुमने खाया और न मुझे खाने दिया.
5. सप्पं न त्वं पहरसि एवं न च ममं अकासि.
सांप न तुमने मारा और न मुझे मारने दिया.
6. न मयं मुसावादनं करिम्हा एवं न च ते अकंसु.
न हमने झूठ बोला और न उन्हें बोलने दिया.
अयं अहं न अकरिं. यह मैंने नहीं किया.
अहं पाप-कम्मं न अकरिं। मैंने बुरा काम नहीं किया।
अहं सम्मा कम्मं अकरिं। मैंने अच्छा काम किया।
कारु दारूना सेतुं करि।
कत्ता कम्मं अकरि।
सो अयं अकरि. उसने यह किया.
सो अयं न अकरि. उसने यह नहीं किया.
अहं अयं न अकरिं. मैंने यह नहीं किया.
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26. 09. 2020
किरिया-
होति( हू)- होता है
(अ) वत्तमान परस्सपद
पुरिस एकवचन अनेकवचन
उ. पु.- अहं होमि मयं होम।
म. पु.- त्वं होसि तुम्हे होथ।
प. पु.- सो होति ते होन्ति।
(स) भूतकाले-
पुरिस एकवचन अनेकवचन
उ. पु.- अहं अहोसिं/अहुं मयं अहुम्हा।
म. पु.- त्वं अहोसि तुम्हे अहोसित्थ।
प. पु.- सो अहोसि ते अहेंसु/अहू।
सरलानि वाक्यानि-
तस्मिं समये अहं सासकीय सेवको अहोसिं/अहुं .
कम्मकारानं कित्ति चतु दिसासु अपसरि अहोसि.
असोक काले पालि जन-भासा अहोसि.
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27. 09. 2020
किरिया-
होति( हू)- होता है
(अ) वत्तमान परस्सपद
पुरिस एकवचन अनेकवचन
उ. पु.- अहं होमि मयं होम।
म. पु.- त्वं होसि तुम्हे होथ।
प. पु.- सो होति ते होन्ति।
(ब) अनुज्ञा परस्सपद-
उत्तम पुरिस होमि होम
मज्झिम पुरिस होहि होथ
पठम पुरिस होतु होन्तु
(स) भूतकाले-
पुरिस एकवचन अनेकवचन
उ. पु.- अहं अहोसिं/अहुं मयं अहुम्हा।
म. पु.- त्वं अहोसि तुम्हे अहोसित्थ।
प. पु.- सो अहोसि ते अहेंसु/अहू।
सरलानि वाक्यानि-
तस्मिं समये अहं सासकीय सेवको अहोसिं/अहुं .
कम्मकारानं कित्ति चतु दिसासु अपसरि अहोसि.
असोक काले पालि जन-भासा अहोसि.
अहं तेसं आरामे अधिपति अहोसिं.
अज्ज अहं इधेव अहोसिं।
अतीते पन अम्हाकं रट्ठे गुणवा राजा अहोसि.
सेनापति पुत्तो अनुपुब्बेन तस्स रट्ठे सेनापति अहोसि.
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किरिया-
होति( हू)- होता है
(अ) वत्तमान परस्सपद
पुरिस एकवचन अनेकवचन
उ. पु.- अहं होमि मयं होम।
म. पु.- त्वं होसि तुम्हे होथ।
प. पु.- सो होति ते होन्ति।
(ब) अनुज्ञा परस्सपद-
उत्तम पुरिस होमि होम
मज्झिम पुरिस होहि होथ
पठम पुरिस होतु होन्तु
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30. 09. 2020
3. (अस)- होता है
(अ) वत्तमान काले
पुरिस एकवचन अनेकवचन
उ. पु.- अहं अस्मिं/अम्हि मयं अस्म/अम्ह।
म. पु.- त्वं असि तुम्हे अत्थ।
प. पु.- सो अत्थि ते सन्ति.
(ब) भूतकाले-
पुरिस एकवचन अनेकवचन
उ. पु.- अहं आसिं मयं आसिम्ह।
म. पु.- त्वं आसि तुम्हे आसित्थ।
प. पु.- सो आसि/आसी ते आसुं/ आसिसुं।
सरलानि वाक्यानि-
भवं कुसलं अत्थि ?
आम! अहं कुसलं अम्हि.
अहं तया संद्धि सल्लपितुं आगतो अम्हि.
भीम राव पितुस्स नाम रामजी सकपालो आसि.
महा ओभासो आसि। महा प्रकाश था।
उपवने सब्बत्थ मग्गा अलंकता आसुं.
उपवन में/के सभी मार्ग अलंकृत थे.
उपवन पकतिया दिट्ठं अब्भुतं आसी.
उपवन की प्रकृति दिखने में अद्भुत थी
परिसरो सब्बत्थ संतिमय आसी.
परिसर सब जगह शांतिमय था.
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कारेति
मा'हेव खो कुमारो न रज्जं कारेसि.
कुमार को राज न करने दो.
मा'हेव राजा कालं अकासि.
रजा न मरे.
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