सरलानि वाक्यानि- मैं मित्र को पत्र लिख रहा हूं।
अहं मित्तं पत्तं लिखामि।
हम फल खाते हैं।
मयं फलानि खादाम।
हम प्रतिदिन बुद्ध को फूल अर्पित करते हैं।
मयं पटिदिनं बुद्धं पुप्फानि समप्पाम।
वह अभी घर नहीं जा रहा है।
सो इदानि घरं न गच्छति।
तुम आज खेत में बीज नहीं बो रहे हो।
त्वं अज्ज खेतस्मिं बीजानि न वपसि।
पुत्र जल से पिता के पैर धो रहे हैं।
पुत्ता जलेन पितुस्स पादे धोवन्ति।
वे घर में मित्रों के साथ भोजन कर रहे हैं।
ते घरे मित्तेहि सह भोजनं करोन्ति।
बच्चों के मित्र बेचों पर बैठ रहे हैं।
दारकानं मित्ता आसने निसीदन्ति।
क्या तुम आज शिक्षकों को पत्र लिख रहे हो?
किं त्वं अज्ज आचरियानं पत्तं लिखसि?
मैं नौकर के द्वारा पुस्तकें घर भेज रहा हूं।
अहं सेवकेन पोत्थकानि घरे पेसामि।
मैं बाग में पेड़ों पर फल देखता हूं।
अहं उय्याने रुक्खेसु फलानि पस्सामि।
पक्षी खेत में बीज खाते हैं।
सकुणा खेते बीजानि खादन्ति।
मित्र आज नगर से दूर नहीं जा रहे हैं।
मित्ता अज्ज नगरस्मा दूरं न गच्छन्ति।
हम पैदल घर से आ रहे हैं।
मयं पादेहि धरस्मा आगच्छाम।
तुम अब कहां से वस्तुएं खरीदोगे?
त्वं इदानि कुतो भण्डानि कीणिस्ससि?
नगर के लोग रोगी को वस्त्र और दवा दे रहे हैं।
नगरस्स जना गिलानं वत्थानि च ओसधानि ददन्ति।
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