चीवरधारी ब्राह्मण
बुद्ध की दृष्टि में समण और ब्राह्मण में ज्यादा फर्क नहीं है(समण ब्राह्मण सुत्त: अंगुत्तर निकाय तिक निपात ). बुद्ध जो समण संस्कृति के संवाहक थे, ब्राह्मण को समण के समान अथवा उससे अधिक क्यों बता रहे थे ? कहीं यह चीवरधारी ब्राह्मण भिक्खुओं का षडयंत्र तो नहीं ?
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