दिव्यावदान
यह संस्कृत में है. इस ग्रन्थ का चीनी अनुवाद 265 ईस्वी में हो चुका था.
दिव्य अवदानों या कथाओं का संकलन का नाम है- दिव्यावदान. इसमें असोकवदान आदि कुल 38 अवदान हैं. अवदान और जातक कथा में अन्तर यह हैं कि जातक कथा में बुद्ध के पुनर्जन्म की कथाएं हैं जबकि अवदान में नायक अन्य भी हैं.
बौद्ध कालीन इतिहास और संस्कृति का वर्णन दिव्यावदान से प्राप्त होता है.
यह भारतीय इतिहास और संस्कृति के स्रोतों का आधार ग्रन्थ है. इतिहास की पुस्तकें बिना दिव्यावदान के उद्धरणों के प्राचीन इतिहास की पुष्टि असंभव होती है. तब भी हिंदी में इसका अनुवाद नहीं मिलता.
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