घायल हंस की कथा जो सिद्धार्थ से जोड़ी गई है और जो पाठ्य-पुस्तकों में पढाई जाती है, ति-पिटक ग्रंथों में उसका कोई उल्लेख नहीं है.
यह कथानक बुद्धचरित पर लिखे गए एक काव्य ग्रन्थ 'दी लाईट ऑफ़ एसिया' से लिया गया है जिसके रचियता एडविन आर्नोड हैं. यह कृति सन 1879 में छपी थी और इतनी प्रसिद्द हुई कि विश्व के तमाम ख्यात-नाम रचना धर्मियों ने इसे अपनी कला का विषय बनाया. स्वाभाविक है, चित्र-कला पर भी इसका भारी प्रभाव पड़ा. भारत की बात करें तो रामचंद शुक्ल ने सन 1922 में इसका पद्यानुवाद कर 'बुद्धचरित्र' की रचना की थी.
जैसे की काव्य-ग्रंथों में होता है, यहाँ भी हुआ. बुद्ध के एतिहासिक चरित्र को काल्पनिक और परा-प्राकृतिक बना कर, परस्पर विरोधी बातों से भर दिया गया (डॉ सुरेन्द अज्ञात : एसिया का प्रकाश ).
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