Friday, April 9, 2021

द्रविड़ प्रदेश

उत्तर भारत-

13 सदी में ही बौद्ध विहीन हो गया था.


द्रविड़ प्रदेश- 

1. बुद्धदत्त(450 ईस्वी)

यह शायद बुद्धघोस के पहले सिंहल आये थे. दोनों की भेट समुद्र में नौका पर हुई थी.इनके ग्रन्थ हैं- 1. विनय विनिच्छय,  2. उत्तर विनिच्छय,  3. अभिधम्मावतार, 4. मधुर अत्थविलासिनी, 5. रूपारूपविनिच्छय. 

2. बुद्धघोस(450 ईस्वी)-  

3. धम्मपाल(500 ईस्वी)-

द्रविड़ प्रदेश में इनके द्वारा रचित ग्रन्थ कम नहीं हैं. दरअसल, बुद्धघोस द्वारा छोड़े हुए कार्य की पूर्ति इनके द्वारा हुई है. इनका जन्म तमिल प्रदेश के कांचीपुरम नमक स्थान में हुआ था. व्हेन-सांग ने जिन धर्म पाल का उल्लेख किया है, वे इनके गुरु थे.

इनकी रचनाएँ हैं-

1. परमत्थ दीपनी(खुद्दक निकाय के उन ग्रंथों की अट्ठकथायें जिनका बुद्धघोस ने आख्यान नहीं किया है. यथा उदान, इतिवुत्तक, विमान वत्थु, पेतवत्थु , थेरगाथा, थेरीगाथा एवं चरिया पिटक)

2. नेत्तिप्पकरण अट्ठकथा  3. दीघ निकाय अट्ठकथा टीका   4. मज्झिम निकाय अट्ठकथा टीका.  5. संयुत्त निकाय अट्ठकथा टीका  6. अंगुत्तर निकाय अट्ठकथा टीका.   7. जातक अट्ठकथा टीका  8. अभिधम्म अट्ठकथा टीका   9. बुद्धवंस टीका   10. विसुद्धि मग्ग टीका  

4. अनुरुद्ध- ये कांची के पास कावेरिपटटन के निवासी थे. इनकी रचाएं हैं-  1. अभिधम्मअत्थ संगह,   2. नाम रूप परिच्छेद ,   3. परमत्थ विनिच्छय.

5. कस्सप(1200 ईस्वी) - इनकी रचनाएँ हैं - 1. मोह विच्छेदनी (अभिधम्म मातिका टीका) , 2. विमति विनोदनी (विनय कथा टीका). 

बुद्धप्पिय दीपंकर(1300 ईस्वी)-  इनकी रचनाएँ हैं- 1. महा रूप सिद्धि  2. पजज मधु 


14वीं सदी में मलिक काफूर ने मथुरा को जीता और सरे मंदिरों और विहारों को ध्वस्त कर दिया. घनघोर अत्याचार किया गया. ऐसे निर्मम हत्यारों से भिक्खु अपने को पीले कपड़ों में रख कर कितने दिनों तक बच सकते थे ? जो जीवित बचे वे सिंहल भाग गए और बिना ग्वाले की गायों की भांति जो बौद्ध गृहस्थ बच रहे, वे ब्राह्मणों के शिष्य हो गए.  इस तरह द्रविड़ प्रदेश से बौद्ध धर्म का उच्छेद हो गया(राहुल सांस्कृत्यायन : पालि साहित्य का इतिहास पृ. 264 ).

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