Friday, May 17, 2019

अक्षम्य अपराध

अक्षम्य अपराध
दिल्ली के रामलीला मैदान में आयोजित बौद्ध धर्मांतरण आन्दोलन, वह एतिहासिक अवसर था जिसने डॉ उदितराज को एक उंचाई दी थी. भारत में, बाबासाहब अम्बेडकर के बाद, धर्मान्तरण आन्दोलन का नेतृत्व करने के इस साहसिक कृत्य ने बेशक, उदितराज के नाम को आसमान की बुलंदियों तक पहुँचाया था. यह वही 'रामराज' थे, जिन्होंने 'उदितराज' बन धम्म-ध्वजा थामी थी. 

सनद रहे, उदितराज ने वह कर दिखाया था जो कासीराम साहब और बहन मायावती नहीं कर पाएं थे. किन्तु, उनके इस अभिनंदनीय कदम को आरएसएस पचा नहीं पाया और उन्हें मुंह-माँगा दाम देकर खरीद लिया.
उदितराज का बिकना, दलितों के धर्मांतरण आन्दोलन पर एक बड़ा आघात था. इस घटना से आन्दोलन में जुड़े मिशनरी लोग हतोत्साहित होकर भर भरा कर गिर पड़े थे. 

निस्संदेह, उदितराज का बीजेपी में जाना, धम्म की हानि थी, जो अक्षम्य अपराध है.

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