महीसा
(भैस)
चरन्त महिसानं
(चरते हुए भैसों को)
ते आदेसितं-
(उन्होंने कहा)-
तुय्हं विच्छिन्दितं
(तुम्हारे छिने गए)
सब्बा अधिकारा।
(सभी अधिकार)
अतो,
(अब से)
त्वं न चरं सक्कोति,
(तुम न चर सकते हो)
यं इच्छितं।
(इच्छानुसार)
न खाद सक्कोति,
(न खा सकते हो)
उदरं पूरितं।
(पेट भर)
यं आदेसितं
(जो कहा जाय)
तं करणीयं।
(उसे करना है)
यावता देतं
(जितना दिया जाए)
तावता खादनीयं।
(उतना खाना है)
महीसा-
(भैंसों ने)
तुण्डं उट्ठहित्वा खणं
(क्षण भर थुथनी उठा कर )
चरं गच्छिता पुनं।
(फिर चरने लगी)
No comments:
Post a Comment