सेना के रिटायर्ड टॉप आफिसर, सिनेमा के रंग कर्मी, कलाकार, विभिन्न क्षेत्रों में राष्ट्रपति के हाथों पुरस्कृत बुद्धिजीवी, लेखक, चिन्तक साहित्यकार लगातार अपनी नाराजी जता रहें हैं, पुरस्कार लौटा रहे हैं, चिट्ठियां लिख रहे हैं. मगर, बीजेपी के लोग आरएसएस के राष्ट्रवाद में इतने मतान्ध हैं कि उन्हें ये सब बातें तुच्छ लगती है, अर्थहीन और विरोधियों का प्रलाप लगती है.
बहरहाल, यह देखना दिलचस्प होगा कि ऊंट किस करवट पर बैठता है ? अर्थात क्या इवीएम मशीने 'मोदी-मोदी' बोलते रहेगी ? क्या चुनाव आयोग 'मोदी-मोदी' पर नियंत्रण कर सकेगा ? क्या राष्ट्रपति 'मोदी अफीम' की खुमारी से उठ सकेंगे ?
बहरहाल, यह देखना दिलचस्प होगा कि ऊंट किस करवट पर बैठता है ? अर्थात क्या इवीएम मशीने 'मोदी-मोदी' बोलते रहेगी ? क्या चुनाव आयोग 'मोदी-मोदी' पर नियंत्रण कर सकेगा ? क्या राष्ट्रपति 'मोदी अफीम' की खुमारी से उठ सकेंगे ?
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