विपस्सना
भारतीय परिप्रेक्ष्य में विपस्सना गैर-जरुरी और भ्रामक है। यह न केवल बुद्ध के वैज्ञानिक सोच को डॉयलुट करता है वरन क्रांतिकारी 'अम्बेडकर विचारधारा और चिंतन' की हत्या करता है.
क्योंकि-
1- विपस्सना के भारतीय प्रचारक गोयनकाजी, विपस्सना को बुद्ध से जोड़ते हैं, जो गलत है. बुद्धिज़्म पर शोध परक और प्रमाणिक ग्रन्थ बाबा साहब अम्बेडकर कृत 'बुद्ध एंड धम्मा' से ऐसा कुछ प्रमाणित नहीं होता। इसके विपरीत, इस ग्रन्थ में विपस्सना को बुद्ध के नाम जोड़ने और प्रचारित करने की भर्त्सना ही की गई है।
2- गोयनकाजी, बुद्ध जीवन सम्बंधित प्रमुख घटनाओं को- चाहे जन्म सम्बन्धी हो, अभिनिष्क्रमण या धम्मचक्कपरिवत्तन अथवा महापरिनिब्बाण; बाबासाहब अम्बेडकर के उलट अवैज्ञानिक, दैविक और संयोगात्मक घटनाओं से विश्लेषण करते हैं।
3. बाबासाहब डॉ अम्बेडकर ने भारतीय संविधान के साथ-साथ अपने कालजयी ग्रन्थ 'बुद्धा एंड धम्मा' में वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा दिया है। गोयनकाजी, इसके उलट जातक कथाओं पर आधारित काल्पनिक और मनगढ़ंत घटनाओं को बुद्ध से जोड़कर अवैज्ञानिक धार्मिक सोच और चिंतन को बढ़ावा देते हैं।
4- बाबासाहब डॉ अम्बेडकर ने बुद्ध को, उनके दर्शन को 'सामाजिक मुक्ति' के सन्दर्भ में ग्रहण किया था। उन्होंने धम्म को व्यक्ति से कहीं अधिक समाज के लिए जरुरी बतलाया था। गोयनकाजी, इसके उलट, बुद्ध को 'अध्यात्मिक मुक्ति' का मार्ग मानते हैं।
5- बाबासाहब डॉ अम्बेडकर ने बुद्ध को भारतीय संस्कृति और परम्पराओं(अवैदिक संस्कृति) के सन्दर्भ में देखा था। इसके उलट गोयनकाजी, बुद्ध और उनकी परम्पराओं को विदेशों से आयात करते हैं, जो स्थानीय संस्कृति और परम्पराओं से संपृक्त है और जहाँ कालांतर में 'हिन्दू संस्कृति' हावी हुई है। विपस्सना भी उन में से एक है. दूसरे शब्दों में, विपस्सना हिन्दू धर्म का प्रचार-प्रसार है। - अ ला ऊके @amritlalukey.blogspot.com
भारतीय परिप्रेक्ष्य में विपस्सना गैर-जरुरी और भ्रामक है। यह न केवल बुद्ध के वैज्ञानिक सोच को डॉयलुट करता है वरन क्रांतिकारी 'अम्बेडकर विचारधारा और चिंतन' की हत्या करता है.
क्योंकि-
1- विपस्सना के भारतीय प्रचारक गोयनकाजी, विपस्सना को बुद्ध से जोड़ते हैं, जो गलत है. बुद्धिज़्म पर शोध परक और प्रमाणिक ग्रन्थ बाबा साहब अम्बेडकर कृत 'बुद्ध एंड धम्मा' से ऐसा कुछ प्रमाणित नहीं होता। इसके विपरीत, इस ग्रन्थ में विपस्सना को बुद्ध के नाम जोड़ने और प्रचारित करने की भर्त्सना ही की गई है।
2- गोयनकाजी, बुद्ध जीवन सम्बंधित प्रमुख घटनाओं को- चाहे जन्म सम्बन्धी हो, अभिनिष्क्रमण या धम्मचक्कपरिवत्तन अथवा महापरिनिब्बाण; बाबासाहब अम्बेडकर के उलट अवैज्ञानिक, दैविक और संयोगात्मक घटनाओं से विश्लेषण करते हैं।
3. बाबासाहब डॉ अम्बेडकर ने भारतीय संविधान के साथ-साथ अपने कालजयी ग्रन्थ 'बुद्धा एंड धम्मा' में वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा दिया है। गोयनकाजी, इसके उलट जातक कथाओं पर आधारित काल्पनिक और मनगढ़ंत घटनाओं को बुद्ध से जोड़कर अवैज्ञानिक धार्मिक सोच और चिंतन को बढ़ावा देते हैं।
4- बाबासाहब डॉ अम्बेडकर ने बुद्ध को, उनके दर्शन को 'सामाजिक मुक्ति' के सन्दर्भ में ग्रहण किया था। उन्होंने धम्म को व्यक्ति से कहीं अधिक समाज के लिए जरुरी बतलाया था। गोयनकाजी, इसके उलट, बुद्ध को 'अध्यात्मिक मुक्ति' का मार्ग मानते हैं।
5- बाबासाहब डॉ अम्बेडकर ने बुद्ध को भारतीय संस्कृति और परम्पराओं(अवैदिक संस्कृति) के सन्दर्भ में देखा था। इसके उलट गोयनकाजी, बुद्ध और उनकी परम्पराओं को विदेशों से आयात करते हैं, जो स्थानीय संस्कृति और परम्पराओं से संपृक्त है और जहाँ कालांतर में 'हिन्दू संस्कृति' हावी हुई है। विपस्सना भी उन में से एक है. दूसरे शब्दों में, विपस्सना हिन्दू धर्म का प्रचार-प्रसार है। - अ ला ऊके @amritlalukey.blogspot.com
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