तरुणावस्था
सुपिनाे
महासागरा.
पक्खिनो
विय डीयति
आकासे
विचरति,
रमति
पकती
अतीव सुंदरा
कीळति,
पमोदति
सतरंगी मोरा
विय नच्चति.
मन मोहना
चित चंचला
झर झरा,
निम्मळा
भम भमरा
जयजय भव
ता यस भव.
सुपिनाे
महासागरा.
पक्खिनो
विय डीयति
आकासे
विचरति,
रमति
पकती
अतीव सुंदरा
कीळति,
पमोदति
सतरंगी मोरा
विय नच्चति.
मन मोहना
चित चंचला
झर झरा,
निम्मळा
भम भमरा
जयजय भव
ता यस भव.
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