अंतर्जातीय विवाह
जाति-पांति तोड़ने के लिए अंतर्जातीय विवाह बहुत ही सार्थक हैं. किन्तु इसके अपने दोष भी हैं. हमारे शीर्षस्थ दलित नेता बाबासाहब डॉ अम्बेडकर का अनुकरण करते हुए जात-बिरादरी के बाहर शादी तो कर लेते है, किन्तु इससे उनके किचन में हमारी पहुँच ख़त्म हो जाती है !
जाति-पांति तोड़ने के लिए अंतर्जातीय विवाह बहुत ही सार्थक हैं. किन्तु इसके अपने दोष भी हैं. हमारे शीर्षस्थ दलित नेता बाबासाहब डॉ अम्बेडकर का अनुकरण करते हुए जात-बिरादरी के बाहर शादी तो कर लेते है, किन्तु इससे उनके किचन में हमारी पहुँच ख़त्म हो जाती है !
अंतर्जातीय विवाह का यह बड़ा झोल है. अगर हमारे लोग किचन तक नहीं जा पाएंगे तो नीतिगत फैसलें तो वहीँ होते हैं न ? यदि हम डॉ अम्बेडकर और महामना ज्योतिबा फुले को देखें तो दोनों के किचन में भारी फेर दिखता है. बाबासाहब जहाँ अकेले दिखते हैं, वहीँ सावित्री बाई अपने पति के हर कदम पर कंधे से कन्धा मिलाते दिखती है।
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