अनैतिक सम्बन्ध
'आजतक' न्यूज रूम से निकाले जाने के बाद पुण्य प्रसून बाजपेयी कुछ दिनों तक एबीपी न्यूज पर दिखे. किन्तु अब लगातार सुमित अवस्थी ही दिख रहे हैं. साफ है, एबीपी के कर्ता-धर्ताओं को पुण्य-प्रसून बाजपेयी पसंद नहीं आए.
'आजतक' न्यूज रूम से निकाले जाने के बाद पुण्य प्रसून बाजपेयी कुछ दिनों तक एबीपी न्यूज पर दिखे. किन्तु अब लगातार सुमित अवस्थी ही दिख रहे हैं. साफ है, एबीपी के कर्ता-धर्ताओं को पुण्य-प्रसून बाजपेयी पसंद नहीं आए.
सभी को अपनी दुकान चलानी है. दुकान प्राथमिकता है. बाजार की सभी दुकाने 'लाभ' पर चलती है. दुकान का कंसेप्ट ही 'लाभ' है. आप जन -कल्याण की भावना से दुकान पर नहीं बैठ सकते ? एक पत्रकार ने तो यहाँ तक कह दिया कि हमारी भी तो पसंद-नापसंद है ? अगर यह पसंद -नापसंद हमारी बातों में झलकती है तो इसमें गलत क्या है ?
मीडिया को लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ कहा जाता है. कहने को तो विधायिका पहला स्तम्भ है. किन्तु हम बिधायिका और उसके विधायकों, सांसदों को सारे-आम बिकते देखते हैं. विधायक और सांसदों की संपत्ति पांच साल में ही दुगनी/तिगुनी हो जाती है ! अगर विधायक/सांसद करोड़ों रूपया चुनाव में खर्च करेगा तो कमाएगा ही. कमाएगा नहीं तो अगली बार कैसे चुनाव लडेगा ?
चाहे न्यायपालिका हो या कार्यपालिका के अफसरान, सब लोकतंत्र के प्रहरी हैं. सबके साथ पेट लगा है. और इस पेट का सम्बन्ध भूख से है. सैद्धांतिक रूप से भूख का सम्बन्ध भोजन से होना था. किन्तु व्यवहार में ऐसा नहीं है. भूख का अनैतिक सम्बन्ध जमाखोरी से है ?
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