गोंडी भाषा:
अभी कुछ समय पूर्व हमारे आदिवासी बंधुओ ने मुख्यमंत्री कमलनाथ को मेमोरेंडम सौंप कर 'गोंडी भाषा' को तीसरी भाषा के रूप में पढाये जाने की जो वकालत की है, यह अनुकरणीय और अभिनंदनीय है.
अभी कुछ समय पूर्व हमारे आदिवासी बंधुओ ने मुख्यमंत्री कमलनाथ को मेमोरेंडम सौंप कर 'गोंडी भाषा' को तीसरी भाषा के रूप में पढाये जाने की जो वकालत की है, यह अनुकरणीय और अभिनंदनीय है.
सनद रहे, गोंडी भाषा, जो अब तक सिर्फ बोली जाती रही, की लिपि बना ली गई है. इसके शब्दकोष और अन्य पाठ्य-पुस्तकें भी प्रकाशित हो चुकी हैं. प्रयास रहे, कि कम-से-कम आदिवासी बच्चे अनिवार्यत:गोंडी भाषा पढ़ें, ठीक वैसे ही जैसे ईसाई मिशनरी स्कूलों में अंग्रेजी, गुरुद्वारों के स्कूलों में गुरुमुखी, मदरसे में उर्दू पढायी जाती है.
प्रत्येक समाज का इतिहास होता है, महापुरुष होते हैं. समाज की संस्कृति होती है, भाषा होती है. संविधान ने प्रत्येक सांस्कृतिक-सामजिक इकाई को यह अधिकार दिया है कि वे अपने शैक्षणिक संस्थान खोले और अपने इतिहास और सस्कृति को सुरक्षित रखें. क्योंकि, शैक्षणिक संस्थान; भाषा, संस्कृति और सामाजिक पहचान को जीवित रखने का अनुत्तर साधन है. इसी संवैधानिक प्रावधान के तहत अल्पसंख्यक अपने अपने शिक्षा-संस्थान संचालित करते हैं.
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