देश की सुरक्षा
व्यक्ति सुरक्षित है तो समाज सुरक्षित है. समाज सुरक्षित है तो गाँव सुरक्षित है. गाँव सुरक्षित है तो देश सुरक्षित है. क्योंकि, व्यक्ति से समाज, समाज से गाँव और गाँव से देश बनता है.
व्यक्ति सुरक्षित है तो समाज सुरक्षित है. समाज सुरक्षित है तो गाँव सुरक्षित है. गाँव सुरक्षित है तो देश सुरक्षित है. क्योंकि, व्यक्ति से समाज, समाज से गाँव और गाँव से देश बनता है.
क्या यह सच नहीं है ? हमने गांधी दर्शन में ऐसा ही पढ़ा है. अगर आप इससे अलहदा राय रखते हैं तो यह आपकी मर्जी. मगर, तब अपने गले में गांधीजी की फोटो लगाने की क्या जरुरत है ?
आप व्यक्ति और समाज को नजरअंदाज कर देश की सुरक्षा का ढिन्डोरा नहीं पीट सकते ? देश के सुरक्षा का ढिन्डोरा पीटने के पहले समाज के प्रत्येक व्यक्ति, चाहे वह दलित हो, मुस्लिम अथवा कृश्चियन, की सुरक्षा आपको सुनिश्चित करनी होगी. उन्हें भय-रहित करना होगा और यह सुरक्षा का अहसास आपके पोर्टल से नहीं, उनके पोर्टल से आना चाहिए.
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