इधर कुछ दिनों से 'दलित' वर्सेस 'बहुजन' पर छींटा-कसी हो रही है. मुझे लगता है, 'दलित' या 'बहुजन' में उलझने की जरुरत नहीं है. हाँ, यह सच है कि 'दलित' शब्द में आक्रोश अंतर्भूत है जबकि 'बहुजन' में अधि-संख्या का गणित है. आक्रोश, दलित साहित्य का कलेवर रहा है. दूसरे, बहुजन शब्द बुद्ध से अनुप्रेरित है जबकि दलित शब्द अम्बेडकर मूवमेंट से. अब यह हमें ही तय करना है कि हमें क्या चाहिए ? .
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