Tuesday, June 9, 2020

पालि साहित्य में छंद अलंकार

पालि  साहित्य में छंद अलंकार
पालि साहित्य में छंदशास्त्र पर वुत्तोदय एवं अलंकारशास्त्र पर सुबोधलंकार नामक ग्रंथों की रचना की गई है। प्रतीत होता है पराक्रमबाहु प्रथम के शासन काल में इन ग्रंथों की रचना हुई।
वुत्तोदय -
यह ग्रन्थ टीकाकार सारिपुत्त के शिष्य संघरक्खित(12  वी  शताब्दी ) द्वारा विरचित है । यह छह परिच्छेदों में विभक्त हैं - सञ्ञा परिभासा, मत्ता छंद, समवुत्त वण्णछंद , अद्ध समवुत्त वण्णछंद, विसमवुत्त  वण्णछंद, छप्पच्चय-विभाग।
इस पर 5  टीका  ग्रन्थ लिखे गए हैं- वुत्तोदय  विवरण, वुत्तोदय टीका , वचनत्य जोतिका टीका, छप्पच्चय  दीपिका सुदुद्दस विकासिनी।  इन में से  पहले दो सिंहल द्वीप में और अन्तिम तीन बर्मा में लिखे गए थे। इन में वचनत्य  जोतिका टीका प्रसिद्द है।
सुबोधलंकार-
इसके रचियता संघ रक्खित(12  शताब्दी उत्तरार्द्ध)  है। स्रोत- पालि साहित्य का इतिहास : कोमल चंद्र जैन

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