दीपावली हिन्दुओं का त्यौहार-
1. बात दीपदान अथवा दीपावली की नहीं, परसेप्शन की है. यह मानने में कोई असुविधा नहीं है कि सम्राट असोक पुत्र महेंद्र और पुत्री संघमित्रा के वापसी पर समस्त जम्बूदीप, असंख्य दीपों के प्रकाश से आलोकित हुआ हो. किन्तु आज दीपावली हिन्दुओं का सबसे बड़ा त्यौहार है. यह हमारा त्यौहार था अथवा है, कहने से आपका 'हिन्दू-संस्कृतिकरण' करने के अलावा कुछ नहीं होगा. और, आरएसएस यही तो चाहता है. आप उसी ट्रेप में फंस रहे हैं. हमें अपनी अस्मिता और पहचान के बारे में सतर्क रहना है. 2. आरएसएस की कई संस्थाएं दलित-आदिवासियों का हिन्दू संस्कृतिकरण करने के लिए कई फ्रंटों पर काम कर रही हैं.
3. वर्त्तमान में, सामान्य तौर पर दलित-आदिवासी दीपावली को अपना त्यौहार नहीं मानते. और दलित-आदिवासी ही क्यों, मुस्लिम, कृश्चियन, सिक्ख, विश्व के तमाम लोग इसे हिन्दुओं का त्यौहार मानते हैं, समझते हैं.
4. चौथे, 'दीपदान' का कथानक जिस सिंहल द्वीप के ग्रन्थ दीपवंश से लिया जाता है, उस ग्रन्थ के कई कथानक काल्पनिक और मनगढ़ंत हैं. राहुल सांस्कृत्यायन के अनुसार दीपवंश क्या, पूरा वंश-साहित्य इसी कोटि का है.
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