आदरणीय आयुष्मान डॉ पी जी ज्योतिकर साहेब के पुण्य स्मृति में भावभीनी हार्दिक श्रद्धांजलि।
भदंत प्रज्ञाशील महाथेरो
पूर्व भिक्षु प्रभारी अधिक्षक और प्रथम बौद्ध सचिव बीटीएमसी, जुलाई 1995-2001
पूर्व राष्ट्रीय महासचिव, अखिल भारतीय भिक्खु महासंघ दिल्ली तथा अखिल भारतीय बुद्ध गया महाबोधि महाविहार मुक्ति आंदोलन समिति
डॉ पी जी ज्योतिकर साहेब एक विवादित व्यक्तिमत्व
के विषय में श्रद्धा सद्भावना पर कुछ अनुभव
आदरणीय ज्योतिकर साहेब के लिए अखिल भारतीय भिक्खु महासंघ दिल्ली के राष्ट्रीय अध्यक्ष भदंत आनंद महाथेरो जी ने नाम रखा था अंधेराकर, भंते जी का कहना रहा है कि जो व्यक्ति बात बाबासाहेब आंबेडकर की करता था लेकिन बैठता हिंदू संगठनों के दफ्तर में। उत्तर गुजरात के विश्व हिन्दू परिषद के अध्यक्ष भी रहे है और 14अप्रेल 1994 के अहमदाबाद में भदंत आर्य नागार्जुन शुरेई ससाई जी द्वारा दिए गए बौद्ध धम्म दीक्षा के कार्यक्रम से हमसे परिचित रहें है। बुद्ध गया महाबोधि महाविहार में हमारे छह साल के अवैतनिक (volunteer) सेवा कार्यकाल में वे लगभग तीन-चार बार महाबोधि सोसायटी आफ इंडिया के पदाधिकारी होने के कारण वार्षिक समारोह और बैठक में भाग लेने आते थे। एक बार दस दिन के लिए श्रामणेर बने हुए थे तब लगभग रोज ही बोधगया मंदिर प्रबंधकारिणी समिति कार्यालय में मेरे पास मिलने आते थे। महाबोधि सोसायटी आफ इंडिया में लगभग अस्सी प्रतिशत गैरबौद्धो की भीड़ के विषय में मुझसे उनकी वार्ता में उनका कहना था कि अनागारिक धर्मपाल जी ने महाबोधि सोसायटी आफ इंडिया के अध्यक्ष श्यामा प्रसाद मुखर्जी को बनाया था। तबसे संस्था में बंगाली ब्राम्हणों की संख्या अधिक रही है इसलिए हम बाबासाहेब डॉ आंबेडकर के मानने वालों की उसमें संख्या बढ़नी चाहिए इसलिए मेरे पास सदस्यता फार्म की पुरी पुस्तक ही लाकर दी थी। बुद्ध गया महाबोधि महाविहार का दान विदेशी बौद्धों द्वारा मेरे आंखों के सामने बोधगया मंदिर प्रबंधकारिणी समिति को न देकर महाबोधि सोसायटी आफ इंडिया के कार्यालय में सभी को देखने पर मैंने अपने कार्यालय के बाहर बड़े साईन बोर्ड पर महाबोधि महाविहार संचालित द्वारा बोधगया मंदिर प्रबंधकारिणी समिति के नाम से अंग्रेजी में, जापानी और कोरियन, तिब्बती भाषा में महाबोधि महाविहार के मुख्य द्वार के पास लगवाए थे और छोटे छोटे पर्चे भी आनेवाले यात्रियों में बंटवाते थे।
गया के तत्कालिन जिलाधिकारी सह पदेन अध्यक्ष श्री एस एम राजू ने हमारी बातों पर पूरा ध्यान दिया और उन्होंने अपने बैठने के सुंदर और वातानुकूलित आकर्षक कमरे को सजवाया था।
उनके पहले के दो जिलाधिकारी सह अध्यक्ष बोधगया मंदिर प्रबंधकारिणी समिति के श्री राजीव गौबा और श्री सुधीर कुमार ने विशेष ध्यान नहीं दिया था। श्री एस एम राजू कर्नाटक के अनुसूचित जाति से आने के कारण बाबासाहेब डॉ आंबेडकर जी के द्वारा होस्टल में रहने और स्कालरशिप पर पढ़ने की बात करते थे। महाबोधि सोसायटी आफ इंडिया के तत्कालीन भिक्खु प्रभारी पुज्य भंते एम विमलसार थेरो के साथ अनबन हुई और दान वस्तु चढ़ावे को लेकर तनातनी और मुकदमा भी मेरे और भदंत आनंद महाथेरो के नाम से व्यक्तिगत गया की अदालत में चले थे। करीब तीन साल में बहुत कुछ उतार चढ़ाव हुए। आखरी में जानलेवा हमले और गोलीकांड भी बुद्ध गया महाबोधि महाविहार के प्रबंधकारिणी समिति कार्यालय परिसर में हुआ था। पहली बार समिति में अमिताभ चैरिटेबल ट्रस्ट के द्वारा लामाजी अयांग रिंपोचे ने टाटा सूमो एसी कार खरिदकर दान में लाकर दी थी। मैं ने उसे व्यक्तिगत स्विकार नहीं किया, अधिक्षक के पद नाम से लिया ताकि उस गाड़ी का रखरखाव समिति करें। दंगाइयों द्वारा गाड़ी को तोड़फोड़ कर बर्बाद कर दिया गया था। कहानी बहुत लंबी है।
महाबोधि सोसायटी आफ इंडिया में पूर्व सांसद आयुष्मान चंद्रपाल शैलानी थे उन्होंने हल्ला हंगामा करने से महाबोधि सोसायटी आफ इंडिया संस्था में गैर बौद्धों की संख्या में परिवर्तन करने का प्रस्ताव पारित किया था और पचहत्तर प्रतिशत बौद्ध होने की बात मानी गई थी।
डॉ पी जी ज्योतिकर साहेब महामहिम दलाई लामा जी और विश्व हिन्दू परिषद , तिब्बत मुक्ति आंदोलन आदि के साथ महाबोधि सोसायटी आफ इंडिया और महाबोधि सोसायटी आफ श्रीलंका के पदाधिकारियों में रहें है।
गुजरात बुद्धिस्ट अकादमी, अहमदाबाद के कोषाध्यक्ष(खजांची) आयुष्मान निखिल भाई गौतम के निवास पर बहुत बार वार्तालाप और दो तीन बार विवाद हुआ है। गोधरा काण्ड और गुजरात दंगे के बाद एक जगह पर धम्मसभा में डॉ साहब और आयुष्मान दिक्षित भाई सुतरिया में मारपीट की नौबत को लोगों ने रोका था।
भारतीय बौद्ध महासभा गुजरात और विश्व हिन्दू परिषद के तालमेल से बौद्ध समाज के दो संगठन आपस में लड़ने का काम करते रहे है।
डॉ पी जी ज्योतिकर साहेब ने बाबासाहेब डॉ आंबेडकर जी के जीवन पर पीएचडी का प्रबंध लिखा उसमें गुजरात में अनुसूचित जाति के वणकर और चमारों की जातियों के कार्यकर्ता ओं में पक्षपात किया है।
गुजरात दूरदर्शन के फिल्म डिविजन से सेवा निवृत्त अधिकारी, बाबासाहेब डॉ आंबेडकर जी के डॉ आंबेडकर राइटिंगस् एंड स्पीचेस के गुजराती भाषा में अनुवाद करने वाले बामसेफ संघठन के अंतरराष्ट्रीय कोआर्डिनेटर आयुष्मान एम के परमार साहब के पास मैंने तुलनात्मक जानकारी इकट्ठा करने पर पता चला कि बाबासाहेब आंबेडकर जी के जीवनी में गुजरात के समर्पित कार्यकर्ताओं का नाम दर्ज नहीं किया और चमार वणकर को जोड़ने की जगह तोड़ने का ही काम किया है।
लोगों का कहना होता है कि व्यक्ति के गुजर जाने पर सभी गीले शिकवे भूला देना चाहिए। बाबासाहेब डॉ आंबेडकर जी की हत्या के बाद लोगों में आज भी आक्रोश है। सरकार ने निष्पक्ष जांच और उसकी रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया है।
बाबासाहेब डॉ आंबेडकर जी ने अपने लेख " महान कौन है ? Who is the great man? में (करीब तीस साल पहले पढ़ा था, हु-ब-हू याद नहीं है) लिखा था कि किसी भी महापुरुष के गुण देखते है तब उसके दोष भी देखने जरुरी है। बिना गुण और दोषों की तुलना किए महापुरुष की व्याख्या करना अधुरा काम है।
मेरे द्वारा लिखी गई पोस्ट किसी भी प्रकार के राग द्वेष से हटकर व्यक्ति के किए गए कायिक वाचिक और मानसिक कर्मों पर आधारित है। गुजरात बुद्धिस्ट अकादमी के सभी पदाधिकारियों में डॉ पी जी ज्योतिकर साहेब के कार्यों को लेकर चर्चा रही है। आयुष्मान अमृतलाल परमार रेलवे से सेवा निवृत्त, मंगल प्रेरणा के संपादक, परसों दिवंगत हुए आयुष्मान डॉ जयवर्धन हर्ष जी, और आयुष्मान जनबंधु कौशांबी और आयुष्मान एम के परमार साहब और सुरत निवासी सेवानिवृत्त जेल अधीक्षक आयुष्मान राहुल भाई राष्ट्रपाल जिनकी साहित्यिक जानकारी और रेफरेंस इकट्ठा करने और लिपिबद्ध करने की आदत से भविष्य के कार्यकर्ताओं को पढ़ने लिखने में आसानी होती है।
मेरे छोटे से लेख में पाठकों को कुछ असुविधा जरुर होगी, उसके लिए खेद है।
दिवंगत आयुष्मान डॉ जयवर्धन हर्ष और दिवंगत आयुष्मान डॉ पी जी ज्योतिकर साहेब को दोबारा हार्दिक श्रद्धांजलि।
भदंत प्रज्ञाशील महाथेरो
तान्या समुई होलीस्टिक हेल्थकेयर सेंटर,समुई द्वीप, सुरत थानी संभाग, दक्षिण थाईलैंड
E.mail: bhadantpr@gmail.com
Bhadant Prajnasheel Thero
Suan Mokkh Balaram forest monastery Lamet Chaiya, Suratthani Province.
At present for treatment
www.tanyasamui.com
Wednesday 16/12/2020
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