Saturday, December 5, 2020

मिलावट

 डाबर, पतंजलि सहित देश की कम्पनियों के प्रोडक्ट अपनी गुणवत्ता में खरे नहीं उतर सके। भारत में बिक रहे 13 छोटे-बड़े ब्रैंड्स के शहद का जर्मनी की लैब में सैंपल भेजा गया, टेस्ट कराया गया. नतीजा चौंकाने वाला रहा. जर्मनी भेजे गए इन 13 में से 10 ब्रैंड्स के सैंपल फेल हो गए. मिलावटी पाए गए. सबसे बड़ी बात ये है कि ये वो सैंपल हैं, जो भारत में हुए टेस्ट में पास हो गए थे. लेकिन जब इन्हीं का विदेश में टेस्ट किया गया तो सारे के सारे फेल हो गए.

अब जानिए कि जिन ब्रैंड्स के शहद मिलावटी पाए गए हैं, उनमें कौन-कौन से ख़ास नाम शामिल हैं? डाबर, पतंजलि, बैद्यनाथ, झंडू प्योर, एपिस हिमालयन और हितकारी. सिर्फ तीन ब्रैंड्स के शहद शुद्ध पाए गए- सफोला, मार्कफेड सोहना और नेचर्स नेक्टर. साथ ही ये बात भी निकली है कि शहद तैयार करने में जिन शुगर सिरप का इस्तेमाल किया जा रहा है, वो चीन से आ रहे हैं. ये सारी जानकारी दी है सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट (CSE) ने. बाकायदा एक प्रेस रिलीज़ जारी करके.

CSE ने अपने पोस्ट में बताया है कि शहद पर की गई ये सारी पड़ताल भारत और जर्मनी की लैब्स में कराए गए तमाम अध्ययनों पर आधारित है. ये पड़ताल कहती है –

“शहद की शुद्धता की जांच के लिए जो भारतीय मानक तय हैं, उनके जरिए मिलावट को नहीं पकड़ा जा सकता. क्योंकि चीन की कंपनियां ऐसे शुगर सिरप तैयार कर रही हैं, जो भारतीय जांच मानकों पर आसानी से खरे उतरते हैं. जर्मनी में कराए गए टेस्ट में 77 फीसदी सैंपल्स में शुगर सिरप की मिलावट पाई गई है. इंटरनेशनल स्तर पर स्वीकार्य न्यूक्लियर मैग्नेटिक रेजोनेंस स्पेक्ट्रोस्कोपी (NMR) परीक्षण में 13 ब्रैंड्स में से सिर्फ 3 ही पास हुए.”

CSE का कहना है कि यह फूड फ्रॉड 2003 और 2006 में सॉफ्ट ड्रिंक्स में पकड़ी गई मिलावट से भी ज़्यादा खतरनाक है. शहद में मिली चीनी सेहत को बड़ा नुकसान पहुंचा रही है.

इन सैंपल्स को सबसे पहले गुजरात के राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) स्थित सेंटर फॉर एनालिसिस एंड लर्निंग इन लाइवस्टॉक एंड फूड (सीएएलएफ) में जांचा गया था. यहां एपिस हिमालयन को छोड़कर सभी बड़े ब्रैंड्स पास हो गए थे. कुछ छोटे ब्रैंड्स फेल हुए थे. लेकिन उनमें भी चावल और गन्ने की शुगर ही पाई गई थी. लेकिन जब इन्हीं सैंपल्स को विदेश में परखा गया तो शुगर सिरप की मौजूदगी पाई गई. जो काफी खतरनाक होती है.

पतंजलि के कई ब्रांड तो इससे पहले भारत की लैब में भी फेल हुए थे, बावजूद इसके वह फलता फूलता गया। आज सवाल यही नहीं कि सैम्पल फेल हुआ या लोगों को जहर बेचा जा रहा सवाल यह भी है चीन से निर्मित सूगर सीरप की मिलावट किस उद्देश्य से की जा रही है? स्वदेशी नाम चिपकाने से ब्रांड स्वदेशी हो जाएगा? बाबा जी केवल उन्ही विदेशी ब्रांड का बहिष्कार करते हैं जो खुद निर्मित करते है और फिर यह मिलावट का खेल किसके साथ धोखा किया जा रहा है? #आरपीविशाल।

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