Friday, March 15, 2019

बौद्ध तीर्थ स्थान और ब्राह्मण पण्डे

पिछले दिनों हमें बुद्धिस्ट तीर्थ स्थानों का भ्रमण करने का मौका मिला. बौद्ध-ग्रंथों में लेख है कि एक बुद्धिस्ट को अपने जीवन में कम-से-कम एक बार, इन बौद्ध तीर्थ-स्थानों के दर्शन जरुर करना चाहिए. पुस्तकों में पढ़ना अलग है और स्पॉट पर जा कर देखना अलग. वैसे भी भमण, चाहे बौद्ध-तीर्थ-स्थानों का हो अथवा मनोहारी प्राकृतिक दृश्य, हमेशा ज्ञान-वर्धक होते हैं.
किन्तु हमें यह कहते हुए अफसोस हो रहा है कि इन बौद्ध तीर्थ-स्थानों के दर्शन से जितना हमारा ज्ञान बर्धन हुआ उससे कहीं अधिक हमें क्षोभ और पीड़ा हुई. चाहे इन तीर्थ-स्थानों के रख-रखाव का मसला हो या अप्रोच रोड का अथवा यहाँ पर कब्ज़ा जमाए ब्राह्मण पंडों का. भला, बौद्ध तीर्थ-स्थानों में ब्राह्मण-पंडों का क्या काम ? पर यकीन कीजिए, ऐसा है . चाहे बुद्धगया का महाबोधि विहार हो,  या  यहाँ से कुछ दूरी पर स्थित बुद्धगुफा; ब्राह्मण पंडा तैनात है, पूजा करने और दान की राशि कलेक्ट करने.
नालंदा की साईट पर गाईड पर्यटकों को बतला रहा था कि बुद्ध, भगवान विष्णु के अवतार हैं ! मैंने टोका और शिकायत करने को कहा. इस पर मुझे मेन गेट की ओर इशारा करते हुए पास खड़े सेक्युरिटी गार्ड ने कहा- देख लीजिए, वहां शर्माजी बैठें हैं ?       

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