प्राचीन भारत के उत्तरी सीमाओं का जहा अन्त होता है उस पर्वत शृंखला को "पारियात्त गिरी" के नाम से जाना जाता था । जब सिकन्दर ने पारियात्त पर्वत क्षेत्र में जीत हासिल की थी तो उसने इन पर्वतो को यूनानी भाषा में "कोकासोश इंडिकोश" (caucaus indicus) पर्वत नाम दिया जिसका अर्थ है "भारतीय पर्वत"।
सिकन्दर के बाद भारतीय पर्वत पर उसके सेनापति सेल्युकस का अधिकार हो गया जिसे सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य ने 305 ईसा0 पूर्व0 में हराकर "पारियात्त गिरी" को पुनः से आजाद करवा लिए ।
महिन्द पालि भाषा का शब्द
महिन्द= मयं + हन्द = हम लोगो को + प्रेरणा धोतक अर्थात हम लोगो को प्रेरणा देनेवाला । दूसरी जगह महान + इंद्र भी हुवा है। हमें ये लगता है कि जब पालि को संस्कृत में उतारा गया तो ये शब्द अपनी गरिमा खो बैठा । क्योकि पालि में महिन्द वही संस्कृत में महेन्द्र हो गया। जबकि हन्द शब्द पालि भाषा में मौजूद शब्द है जिसका अर्थ प्रेरणा दाई जो हिन्दू हिन्दुस्तान शब्द से कोई लेना देना नहीं । फ़ारसी शब्द कोष में हिन्दू= शब्द का अर्थ काला गुलाम है । हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान ये सारे फ़ारसी भाषा के शब्द है नाकि प्राचीन भारतीय भाषा के है ।
जिस पर्वत को भारतीयों ने पारियात्त गिरी कहा उसी पर्वत को जरस्तुकाल में इरानीयो ने हिंदुकुह कहा । फ़ारसी भाषा में कुहे ए हिन्दू का अर्थ गुलामो की पहाड़ी होता है ।
देखे शब्द कोष
पालि हिंदी
यूनानी हिंदी
फ़ारसी हिंदी ।
Siddharth vardhan Singh
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यह पर्वत भारत की सीमा थी. हर विदेशी इस सीमा को पर करके भारत में प्रवेश करता था. मेग्थनिज ने लिखा कि सिकन्दर से तीन सदी पहले ब्राह्मण भी इसी indicus पर्वत के पास आ कर टिक गए थे. जब सम्राट चन्द्रगुप्त ने सैल्युक्स को हराया तो उसने यह इलाका सम्राट को अपनी बेटी के साथ दहेज में दिया था. उसके बाद ब्राह्मण भारत में फैलना शुरू हुए और उनका यग भी तभी भारत में आया. वह लोग बेखोफ होकर धड्ले से यग करने लगे तब कहावत बनी थी एक तरफ जोरू का भाई दूसरी तरफ सारी खुदाई. उनके यग इतने बढ़े कि सम्राट असोक को शाही फरमान जारी करके य्गों पर पाबंदी लगनी पड़ी.
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