Thursday, August 8, 2019

वन्दनीय

वन्दनीय
भारत जैसे देश में, व्यक्ति की पहचान, जाति से होती है. दरअसल, हमारे यहाँ जातियां व्यक्ति को अलग-अलग सांस्कृतिक ढाँचे में संस्कारित करती है. यह आवश्यक नहीं कि ये संस्कार मानवीय गरिमा का सम्मान करें. क्योंकि, जातिगत ढांचा मानवीय गरिमा नहीं, उंच-नीच की उत्तरोत्तर क्रमबद्ध सामाजिक संरचना का अनुपालन करता है. ऐसे जातिगत ढांचे में कुछ व्यक्ति पैदा होते हैं, जो परम्परागत मिले भेदभाव पूर्ण व्यवहार को उचित नहीं मानते. इसमें उस परिवार विशेष का अपना आचार-विचार होता है जो किन्हीं परिस्थितियों में सामाजिक दायरे से हट कर विकसित होता है. सिद्धार्थ गौतम कुछ इसी तरह के पारिवारिक संस्कारों में पले-बढ़े थे . 
ये लोग गतिशील होते हैं, परिवर्तनवादी होते हैं. यद्यपि इनके जीवन में कई कष्ट और बाधाये आती हैं किन्तु समय की दिशा ये ही निर्धारित करते हैं. विश्व उन्हें नमन करता है. ये वन्दनीय होते हैं.

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