Friday, August 16, 2019

धम्मलिपि/खरोष्ठी/सिंहली/बर्मी/खेमर

धम्मलिपि लिपि 

धम्मलिपि एक ऐसी प्राचीन लिपि है जिससे कई एशियाई लिपियों का विकास हुआ है। प्राचीन धम्मलिपि के उत्कृष्ट उदाहरण सम्राट अशोक द्वारा ईसा पूर्व तीसरी शताब्दी में बनवाये गये शिलालेखों के रूप में अनेक स्थानों पर मिलते हैं। अशोक ने अपने लेखों की लिपि को ‘धम्मलिपि’ का नाम दिया है।

साधारणत:  धम्मलिपि को 'ब्राह्मी लिपि' कह कर इसे अशोक से जोड़ा जाता है। किन्तु इसका स्रोत नहीं बताया जाता। स्मरण रहे, ईसा पूर्व 4 थी सदी में व्याकरणाचार्य पाणिनि ने जब वैदिक भाषा को सूत्र-बद्ध किया तो किसी लिपि का उल्लेख नहीं किया है। जबकि बौद्धों के ग्रन्थ ललितविस्तर( ईसा की पहली सदी) में बालक सिद्धार्थ को ब्राह्मण गुरु से 64  भाषा और लिपियों की सूची दे उन में प्रवीण होने की बात कही गई है।

अशोक के विभिन्न स्थानों में प्राप्त अभिलेखों में  कुल 4 लिपियों का प्रयोग हुआ है-
1. धम्मलिपि  2. खरोस्टि 3. आरमाईक 4. ग्रीक

 धम्मलिपि की विशेषताएँ-
-यह बाँये से दाँये की तरफ लिखी जाती है।
-यह मात्रात्मक लिपि है। व्यंजनों पर मात्रा लगाकर लिखी जाती है।
-कुछ व्यंजनों के संयुक्त होने पर उनके लिये 'संयुक्ताक्षर' का प्रयोग (जैसे प्र= प् + र) ।
-वर्णों का क्रम वही है जो आधुनिक भारतीय लिपियों में है।

धम्मलिपि









खरोष्ठी






सिहंली लिपि



म्यांमार(बर्मी) लिपि





थाई लिपि





लाओस लिपि





खेमर(कम्बोडियन) लिपि 





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