Wednesday, August 28, 2019

Oldest Buddha Suttas (अशोक का भाबरू शिलालेख)

अशोक का भाबरू शिलालेख
पियदसि लाजा मागधं संघं अभिवादनं आहा। अपा वाधतं च फासु विहालतं चा।  विदितं वे भंते आवतक हमा वुधसि धंमसि संघसीति गलवे च पसादे च ए केचि भंते भगवता बुधेन भासिते सचे से सुभासिते वा ए चु खो भंते हमियाये  दिसेया देवं सघं में चिलठितिके होसतीति अलहामि हकं तं वतये। इमानि भंते धंम-पलियायानि विनयसमुकसे, अलियवसानि, अनागतभयानि, मुनिगाथा, मोनेयसूते, उपतिसपसिने ए चा लाहुलोवादे मुसावादं अधिगिच्य भगवता बुधेन भासिते। एतान भंते धम-पलियायानि इछामि। किं ति बहुके भिखुपाये च भिखुनिये चा अभिखिनं सुनयु चा उपधालेयेयु चा। हेवं हेवा उपासका चा एतेनि भंते इमं लिखापयामि अभिहेतं म जानंताति।

पालि अनुवाद
पियदसी राजा मागधं संघं अभिवादनं आह। अप्पावाधतं च फासुविहारतं च।  विदितं वो भंते यावतको अम्हाकं  बुद्धस्मिं धम्मस्मिं गारवो च पासादो च। यो कोचि भंते, भगवता बुद्धेन भासितो(धम्मपलियायो), सब्बो सो सुभासितो एव। यो तु  खो भंते अम्हेहि देसेय्यो हेवं सद्धम्मो चिरट्ठितिको हेस्सति ति, अरहामि अहं तं वत्तये।  इमानि भंते धम्म-पलियायानि विनय-समुकसो, अरियवंसा, अनागतभयानि, मुनिगाथा, मोनेय्यसुत्तं, उपतिसउपतिस्स-पसिनो,  ये च राहुलोवादे मुसावादं अधिकिच्च। भगवता बुद्धेन भासितो(धम्मपलियायो)।  एतानि भंते, धम्म-पलियायानि इच्छामि। किं ति बहुका भिक्खवो च भिक्खुनियो च अभिक्खणं सुनेय्युं च उपधारेय्युं च, हेवं हेव उपासका च उपासिका च। एतेन भंते ! इमं लेखापयामि अभिहेतं मे जानन्तू ति ।

प्रियदर्शी मगध राजा संघ को अभिवादन करके संघ का स्वास्थ्य और सुख निवास पूछता है। भदन्त,  आप जानते ही हैं कि बुद्ध, धर्म तथा संघ के प्रति मुझमें कितना आदर एवं श्रद्धा है। भगवान बुद्ध का सारा ही वचन सुभाषित है। भदन्त, मैं जिसका निर्देश यहां कर रहा हूँ , वह केवल इसलिए है कि सद्धर्म चिरस्थायी हो और इसलिए बोलना उचित लगता है। भदन्त, ये धर्मपर्याय हैं- विनयसमुकसे, अलियवसानि, अनागतभयानि, मुनिगाथा, मोनेयसूते, उपतिसपसिने, और भगवान बुद्ध का यह भाषण जो उन्होंने राहुल को दिए हुए उपदेश में असत्य भाषण के विषय में किया था। इस सूत्रों के सम्बन्ध में भदन्त मेरी इच्छा यह है कि बहुत से भिक्खु और भिक्खुनियां उन्हें बारम्बार सुनें और कण्ठस्थ करें। इसी प्रकार उपासक और उपासिकाएं भी करें। भदन्त, यह लेख मैंने खुदवाया है। इसलिए कि मेरा अभिहित सब लोग जानें।

-------------------------
1. भाबरू- जयपुर के पास एक पहाड़ी स्थान।
2. विनयसमुकसे(विनय समुत्कर्ष)-  धम्मचक्कपवत्तन सुत्त।    अलियवसानि- अरियवंससुत्तः अ. नि. चतुक्क निपात। अनागतभयानि- अ. नि. पंचक निपात। मुनिगाथा- मुनिसुत्तः सुत्तनिपात। मोनेयसूते-  नालकसुत्तः सुत्तनिपात। उपतिसपसिने(उपतिस्स पन्ह)- - सारिपुत्त सुत्तः सुत्तनिपात। राहुलोवाद सुत्त- चुल राहुलोवाद अथवा अम्बलट्ठिक राहुलोवाद सुत्तः मज्झिम निकाय(धर्मानन्द कोसम्बीः भगवान बुद्ध जीवन और दर्शन)।
3. उक्त 7 में से सुत्तनिपात में आए हुए 3 सुत्त यथा मुनिगाथा, नालकसुत्त और सारिपुत्त सुत्त पद्य में हैं, शेष 4 गद्य में हैं।
4. ये सातों सुत्त मोटे तौर पर विनय से सम्बन्धित हैं।
5. सुत्तपिटक के प्राचीनत्तम सुत्तों को पहचानने के लिए ये सातों सुत्त बहुत उपयुक्त हैं।  

No comments:

Post a Comment