भगवा वुच्चति-
(बुद्ध कहते हैं)
यथा नदियो नाना पब्बता, नाना ठाना
जिस प्रकार नदियाँ भिन्न भिन्न पर्वतों, भिन्न भिन्न स्थानों से
आगच्छन्ति च समादियन्ति समुद्दो
आती हैं और समुद्र में मिलती हैं,
तथेव जना, नाना कुला नाना वंसा
उसी प्रकार लोग भिन्न-भिन्न कुल और वंश
चजन्ति च समादियन्ति धम्मो.
त्याग कर भगवान के धम्म को अंगीकार करते हैं.
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