अर्हंत महादेव Vs हर हर महादेव
चक्रवर्ती सम्राट महाराजा अशोक द्वारा धम्मप्रचार के लिए अर्हंत भिक्खु महादेव और यवन देश से आए हुए भिक्खु धम्मरक्खित को भिक्खुदल के साथ भेजा था। नाला सोपारा (प्राचीन नालक-सुप्पारक) में पाटलिपुत्र से गंगा नदी से होते हुए गुजरात भरुच से होते हुए पहुंचे थे। भगवान बुद्ध के भिक्षापात्र पर स्तूप निर्माण किया था। बहुत बड़ा पत्थर का बर्तन नालासोपारा के स्तूप खुदाई में मिला है। उस पाषाण पिटारे से प्राप्त स्वर्ण मुर्तियां और फूल मुंबई के एशियाटिक सोसायटी के भवन में मौजूद है। पत्थर वाले कास्केट को मैंने 2006 और 2016 में देखा है। अंदर के सामान को देखने के लिए लिखा-पढ़ी के साथ देखने का समय भी निर्धारण की शर्तें है।
कान्हेरी गुफाएं निर्माण होने की वजह भिक्खुओं का वर्षावास है। नासिक के पास अर्हंत भिक्खु महादेव ने त्र्यंबकेश्वर में (शायद नाम,गोदावरी नदी ) वर्षावास किया था और वहां से धम्म चारिका भिक्खाटन करते हुए जहां से गुजरे उन स्थानों पर अनुयाई निर्माण हुए और बौद्ध गुफाओं का निर्माण हुआ।
भिक्खु यवन धम्मरक्खित गोदावरी नदी के किनारे किनारे कुछ भिक्खुओं के साथ पतिट्ठान (प्रतिष्ठान, जिसे वर्तमान में पैठण कहते है) से आगे दक्षिण भारत में कर्नाटक राज्य में धर्मस्थान को गये थे। यलम्मा देवी और देवदासी वाला स्थान प्राचीन भिक्खुनी विहार था, जैसे कलकत्ता का कालीमठ। विदर्भ महाराष्ट्र के अमरावती जिले में मोर्शी तहसील में सतपुड़ा पर्वत श्रृंखला में सालबर्डी में वर्षावास करने की संभावना है, क्योंकि विदर्भ प्रान्त के लोग उसे छोटा महादेव कहते है। वहां पर बौद्ध गुफाएं है, महानुभाव पंथ के लोगों ने उन गुफाओं में परिवर्तन किया है। गुफाओं वाला क्षेत्र मध्यप्रदेश के बैतूल जिले और भैंसदेही तहसील में आता है।
भंडारा जिले में वैनगंगा नदी के तट पर पौनी का बौद्ध स्तूप महाराजा चक्रवर्ती सम्राट अशोक द्वारा बनाया था। वहां से भिक्खुगण महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश की सीमा पर मोरखा जगह नागदेवता की जगह है, वहां से आगे पचमढ़ी के जंगलों में (पांच कमरे पत्थर काटकर बनाये है, उसके उपर महाराजा अशोक द्वारा बनाए बुद्ध स्तूप की बेसमेंट की ईंटों को मैंने आज से करीब पंद्रह साल पहले देखा हूं) वहां पर टुटा हुवा पुरातत्व विभाग का साइन बोर्ड था।
अर्हंत महादेव भिक्खु का आखरी वर्षावास या अंतिम अवस्था पचमढ़ी के जंगलों में होने की संभावना है। बड़ा महादेव की महाशिवरात्रि और नागपंचमी को यात्रा होती है। पचमढ़ी में नागराजाओं की हत्याएं की गई होगी। गुप्त महादेव की गुफा है, चौवर्या गढ़ है। महादेव से संबंधित गौरा पार्वती और जटाशंकर आदि बहुत सी बातें शोध का विषय है(आर्य अनार्य सांस्कृतिक संघर्ष भूमि का प्राचीन क्षेत्र है)।
भदंत प्रज्ञाशील महाथेरो (शुक्रवार 05 फरवरी 2021 सुबह 1: 48 बजे (डोनकियम, सुवन मोक्ख बलाराम का अंतरराष्ट्रीय ध्यान केंद्र का विदेशी साधक निवास, दक्षिण थाईलैंड)
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