भूतकाल में कुछ किरिया शब्दों के विशेष रूप
करोति(कर)- करता है।
देति/ददाति(दा)- देता है।
तिट्ठति(ठा)- खड़ा होता है।
पुरिस- एकवचने-- अनेकवचने
उत्तम पुरिस-अहं अकरिं/अकासिं-- मयं अकरिम्ह/अकम्हा।
मैंने किया। हमने किया।
मज्झिम पुरिस- त्वं अकरि/अकासि-- तुम्हे अकत्थ।
तूने किया। तुम लोगों ने किया।
अञ्ञ पुरिस- सो अकरि/अकासि/अका-- ते अकरिंसु/अकंसु।
वाक्यानि पयोगा-
1. मैंने जो कहा, उसने किया।
अहं यं वदिं, सो अकरि।
अहं यं वदिं, सो अका।
अहं यं वदिं, सो अकासि।
2. उसने क्या किया, जो दुर्गति को प्राप्त हुआ?
सो किं अकरि, यं दुग्गतं पापुणि ?
सो किं अकासि, यं दुग्गतं पापुणि ?
सो किं अका, यं दुग्गतं पापुणि ?
...................
पापुणति- प्राप्त करता है। भूतकाले- पापुणि।
18. 03. 2021
क्या तुमने वह कार्य किया ?
किं त्वं तं करिय अकासि ?
क्या तुमने वह कार्य किया, जो मैंने कहा ?
किं त्वं तं करियं अकासि, यं अहं वदिं ?
मैंने जो कहा, क्या तुम लोगों ने किया ?
यं अहं वदिं, किं तं तुम्हे अकत्थ ?
जो मैंने कहा, वह उसने किया.
यं अहं वदिं, तं सो अका.
क्या उसने तुम्हारा कार्य किया ?
किं सो तव करियं अका?
क्या उसने तुम्हारी पुस्तक दिया ?
किं सो तव पोत्थकं अदा ?
उसने तुमको क्या दिया ?
सो तव किं अदा?
अद्दसा भगवन्तं, मगध महाराजा अजातसत्तु सिरसा वन्दि.
भगवान को देख मगध महाराजा अजातसत्तु ने सिर से वंदन किया.
अद्दसा मात-पितूनं, पुत्तो सिरसा वन्दि.
माता-पिता के देख पुत्र ने सिर से वंदन किया.
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