Monday, March 29, 2021

सर्व-ग्राह्यता

सर्व-ग्राह्यता 

पडोसी मित्र शर्माजी, जो एक मंजे हुए लेखक और साहित्यकार है, के यहाँ बैठा मैं चाय पी रहा था. 

अचानक पुस्तकों की रेक में 'धम्मपद' देख मैंने पूछा-

"तो फिर इन ग्रंथों के बीच डॉ. अम्बेडकर लिखित 'बुद्धा एंड हिज धम्मा' भी होगा ?"

"जी नहीं, 'धम्मपद' जितनी सर्व-ग्राह्यता अभी उसमें आना बाकि है." 

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