सर्व-ग्राह्यता
पडोसी मित्र शर्माजी, जो एक मंजे हुए लेखक और साहित्यकार है, के यहाँ बैठा मैं चाय पी रहा था.
अचानक पुस्तकों की रेक में 'धम्मपद' देख मैंने पूछा-
"तो फिर इन ग्रंथों के बीच डॉ. अम्बेडकर लिखित 'बुद्धा एंड हिज धम्मा' भी होगा ?"
"जी नहीं, 'धम्मपद' जितनी सर्व-ग्राह्यता अभी उसमें आना बाकि है."
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