द्वि बारं, ति-बारं ताळनं सुनखस्स, चजति ते त्वं द्वारं
बारम्बारं ताळनं पि दलित जना, न चजन्ति ते मन्दिरस्स द्वारं
दो बार, तीन बार कुत्ते को मारना, वह तुम्हारा दरवाजा छोड़ देता है
किन्तु बारम्बार प्रताड़ित होकर भी दलित, मंदिर का दरवाजा नहीं छोड़ते.
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